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काम और तमाशे का फर्क़

अब्दुल रशीद अगवान मुल्क में कई लीडर यह समझते हैं कि तमाशा करने से जनता ज़्यादा ख़ुश होती है, पीछे चल देती है और वोट देती है। और तक़रीबन ऐसा है भी। दिल्ली में पिछले एमसीडी चुनाव ने इसको साबित भी किया है। जनता ने उस पार्टी को तीसरी बार जीता दिया है जो पिछले दस साल से...

गुजरात : यहां ‘तीन तलाक़’ नहीं, बल्कि ‘नपुंसकता’ है असल मुद्दा

मुहम्मद कलीम सिद्दीक़ी अहमदाबाद : गुजरात की सियासत का ‘नपुंसकता’ के साथ गहरा रिश्ता रहा है. इस ‘नपुंसकता’ पर बार-बार कोई न कोई बयान आता ही रहा है. कांग्रेस के सलमान खुर्शीद 2014 लोकसभा चुनाव में अपने राजनीतिक सभा में उस वक़्त के गुजरात के सीएम नरेन्द्र मोदी को...

देश में सामाजिक चुनौतियों से बढ़ती गरीबी

By Asmad Habib, Maeeshat  भारत दुनिया के तेज आर्थिक विकास वाले देशों में है, पर इस विकास का लाभ गरीबों को नहीं मिल रहा। इसका असर उसके विकास पर भी पड़ा। सामाजिक चुनौतियां बनी हुई हैं और गरीबी बढ़ रही है। देश में गरीबी उन्मूलन की योजनाएं तो खूब हैं, लेकिन भूमि सुधार से...

नोटबंदी से 152000 लोग हुए बेरोजगार

भारत सरकार के श्रम और रोजगार मंत्रालय द्वारा विमुद्रीकरण के दौरान नौकरियों को हुए नुकसान को लेकर तैयार की गई एक आधिकारिक रिपोर्ट (Fact Sheet) से निराशाजनक तस्वीर सामने आई है। विमुद्रीकरण से सबसे ज्यादा नुकसान असंगठित क्षेत्र को हुआ। अक्टूबर-दिसंबर तिमाही 2016 के दौरान...

भाषा, राष्ट्र और बाजार

किशन कालजयी बिलकुल साफ है कि आज अँग्रेजी की जितनी व्यापक पहुँच है और उसका बौद्धिक दबदबा है, हिन्दी का नहीं है। एक तरफ अँग्रेजी थोपी जा चुकी है, दूसरी तरफ राष्ट्रभाषा–राष्ट्रभाषा की आवाज है। बेहिचक कहना होगा कि ये दोनों ही शक्ति–प्रदर्शन के मामले हैं। हाल में फिर...