पिछले चुनाव में बसपा को एक सीट भी नहीं मिल पाई थी, इस लिहाज से यह चुनाव उसके लिए काफी अहम है। इस बार बसपा की सोशल इंजीनियरिंग पर आधारित चुनावी रणनीति की भी कड़ी परीक्षा होगी। पार्टी के लिए बदले हालात में सामाजिक समीकरणों को साधना किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं है।
इस लोकसभा चुनाव में बसपा अब तक 17 उम्मीदवारों की घोषणा कर चुकी है। इसमें छह दलित, चार पिछड़े, तीन मुस्लिम, दो वैश्य और ठाकुर व ब्राह्मण समुदाय से एक-एक उम्मीदवार शामिल हैं। बसपा को अभी 21 और उम्मीदवार घोषित करने हैं।
हालांकि इस चुनाव में बसपा दलित मुस्लिम समीकरण के आधार पर अपना उमीदवार उतार रही है। इसी तरह के समीकरण के आधार पर ही वर्ष 2007 में यूपी विधानसभा के चुनाव में मैदान में उतरी थी। यह समीकरण उसके लिए फलदायी साबित हुआ और राज्य में उसकी सरकार बनी।
हालांकि इस चुनाव में भीम आर्मी के चंद्रशेखर आजाद से टक्कर मिल रही है। माना जा रहा है कि पश्चिमी यूपी के कई जिलों के युवाओं के बीच चंद्रशेखर की अच्छी पैठ है। दलित चेहरा होने की वजह से वह इस समुदाय के वोट बैंक में सेंध लगा सकते हैं।