शाहिद अंसारी न्यूज़ एक्सप्रेस
मुंबई । महाराष्ट्र में साल 2014 में रिश्वतखोंरों के खिलाफ हुई कार्रवाई से पूरे महाराष्ट्र में खलबली मच गई हैं.100 रूपए से लेकर करोडों की रिश्वत लेने वाले रिश्वत खोर ऐंटी करप्शन ब्योरो के गिरफ्त मे आगए.जिसको लेकर अब हर अदना से आला यह सोचने पर मजबूर होगया हैं कि क्या साल 2014 रिश्वत खोरों के लिए बहुत ही मुश्किल साबित होगा.यह हम नही बल्कि ऐंटी करप्शन ब्योंरो के जरिया हुई कार्रवाई कह रही हैं कि साल 2014 रिश्वत खोरों के लिए खतरे की घंटी लेकर आया है..सबसे पहले नजर डालते हैं.मुंबई के मशहूर खालसा कॉलेज के प्रिंसपल अजीत सिंह और उनके pa को acb ने 20 हजार की रिश्वत लेते रंगे हाथों गिरफ्तार किया .ऐंटी करप्शन ब्योरो ने जो कार्वाई की है उनमें बडी कार्रवाई क्या रही.सबसे पहले महाराष्ट्र के इतिहास में पहली बार बदनाम जेल आर्थर रोड जेल जहां के जेलर को अपने ही एक अधिकारी से रिश्वत लेने के इलजाम में ACB ने रंगे हाथों गिरफ्तार करलिया.साथ में एक और जेल अधिकारी को इसी रिश्वत खोरी में गिरफ्तार किया गया.गिरफ्तारी के बाद ACB का जारी हुआ तलाशी अभियान जिसमे करोंडों की सम्पत्ति का खुलासा हुआ. ACB ने यह साबित करदिया कि जेल ही करप्शन का सबसे बडा गढ है.बस यहां किसी के खिलाफ कार्वाई करना बेहद मुश्किल काम हैं.उसके अलावा मुंबई के अँधेरी इलाके में असिस्टेंट आरटीओ को भी ACB ने रिश्वत खोरी के मामले मे गिरफ्तार कर सलाखों के पीछे पहुंचा दिया. थाने जिले के करजत इलाके में एक PWD इंजीनियर को भी रंगे हाथो गिरफ्तार कर करोडों की जायदाद और घर से 22 किलो सोना 23 किलो चांदी जब्त की.और हाल ही में थाने जिले के सेल टैक्स के डिप्टी कमिश्नर के घर छापा मार कर करोंडों का प्रापर्टी का खुलासा किया.इस तरह से 2014 में ACB ने इन घूस खोरों को सलाखों के पीछे पहुंचा कर यह साबित किया कि साल 2014 में घूसखोरों की खैर नही.Acb dg प्रवीन दिक्षित के आने के बाद acb की कार्रवाई में इजाफा तो हुआ ही है उसके साथ साथ क्वालिटी में भी काफी फर्क आया .इधर इस तरह के हालात और रोजाना ACB की होरही कार्वाई में गिरफ्तारियों का आंकडा तो बढ रहा है साथ में रिश्वत खोरों में एक डर का भी माहौल बन गया हैं.यही वजह है क कि अब पुलिस थानों में भी आम आदमी से रिश्वत की डिमांड करने वाले पुलिस कर्मी या दूसरे विभाग के सरकारी कर्मचारी हिचकिचाते हैं.आम आदमी के लिए सबसे मुश्किल होता है कि वह ACB के पास क्यों जाए.क्योंकि उसे इस बात का खौफ रहता है कि ACB के पास जाने के बाद उसका काम होगा या नही.इस लिए अक्सर लोग भी पैसे देकर अपना काम करवाने में अपनी भलाई समझते है .लेकिन अब हालत काफी बदल गए हैं महारष्ट्र के बुलडाना जिले में एक मजदूर खेत में एक पेड़ पर काम कर रहा था अचानक वह पेड़ से गिर जाता है स्थानीय अस्पताल में उसे भारती कराया जाता है जहा सरकारी अस्पताल के सिविल सर्जन ने 15 हज़ार की रिश्वत मांगी रिश्वत ना देने पर उसका इलाज अवरंगाबाद में करने को कहा मजदूर की पत्नी ने भीक मांग कर 4 हज़ार इकठ्ठा किये लेकिन डॉक्टर के पास जाने से पहले Acb की दहलीज़ पर दस्तक दी acb ने डॉक्टर को रंगे हाथों गिरफ्तार किया .यहाँ सोचने वाली बात यह है की जब गाँव की एक अनपढ़ महिला acb के पास पहुच सकती है तो दुसरे लोग कियो नहीं.ACB ने हाल ही में मुंबई के डिंडोशी पुलिस थाने के सीनियर पुलिस इंस्पेक्टर को भी रंगे हाथों गिरफ्तार किया…यह रिश्वत एक ऐसे शख्स से ली जारही थी.जिसपर सट्टा चलाने का आरोप था.सट्टा के मामलें केस ना बनाने के लिए ढाई लाख की बात हुई और पहली किस्त 50 हजार के तहेत देनी थी.लेकिन इस 50 हजार के पीछे ACB ने अपना जाल बिछाया औऱ आरोपी जे माने को गिरफ्तार करलिया.तलाशी अभियान के दौरान सीनियर पीआई की केबिन से 5 लाख रूपए भी बरामद किए गए.
रिश्वतखोरों को बढावा बिलकुल ना दें.और इसकी शिकायत ACB से जरूर करें.ताकि इन पर लगाम लगाई जासके .आम तौर पर लोग शिकायत दर्ज करने और ACB के पास जाने में घबराते हैं.जिसकी वजह से रिश्वतखोर कुछ ज्यादा ही मांग करते हैं.और इसका शिकार हर खास और आम होता हैं.जब एक मजदूर की पत्नी ACB के दफ्तर पहुंच सकती हैं तो आप क्यों नही.इसी लिए ACB ने महाराष्ट्र के हर जिले में 2 …2.. टोल फ्री मोबाइल सेवा उपलब्ध कराई हैं.ताकि लोग अपनी शिकायत यहां करसकें.और मश्विरा भी ले सकें.जिसका काफी इस्तेमाल अब किया जारहा हैं.इस बात की जानकारी खुद ACB के प्रमुख प्रवीन दिक्षिन नें दी.जिससे साबित होता है की कही ना कहीं लोगों में जागरूकता फ़ैल रही .इसका एक और सबसे बडा फाएदा यह हुआ कि जब किसी शख्स की शिकायत के बाद ट्रैप लगाया जाता हैं और उसकी गिरफ्तारी होती है .तो लोगों में ACB के प्रति एक विश्वास होजाता हैं.और इसी विश्वास की वजह से ACB तक शिकायतें ज्यादा की जाती हैं.
.वहीं रिटाएर्ड पुलिस अधिकारी एक बडी वजह यह भी मानेत हैं.कि अक्सर लोगों को ACB की तरफ से सही मार्गदर्शन नही मिल पाता था जिसकी वजह से लोग वहां तक पहुंचने में डरते हैं. रिटाएर्ड आईपीएस अधिकारी एस एस सोराडकर के मुताबिक इस विभाग में जिसके हाथ में कमान सौंपी है.यह देखना जरूरी होगा कि वह खुद कितनी सही है.साल 2013 में इसी ऐंटी करप्शन बिल्डिंग में लोग आने से कतराते थे.क्योंकि यहां पर मौजूद वरिष्ठ अधिकारी खुद भ्रष्टाचार मे विलीन थे.इस वजह से कार्रवाई का दूर दूर तक की नामो निशान नही था. सोराडकर के मुताबिक आम आदमी ही रिश्वत खोरी से परेशान है और ऐसे लम्हों में महाराष्ट्र acb का कार्रवाई अभियान आम आदमी के लिए बेहतर साबित हो रहा . सोराडकर ने पूर्व डीजी खिलानी की कार्रवाईयों से असंतुष्टि ज़ाहिर की है उनके मुताबिक जो खिलानी इस विभाग और इस पद के योग्य थे ही नहीं उन्हें यहाँ नियुक्त ही कियों किया गया था. इसी लिए लोगों का भरोसा acb से उठ गया था लेकिन तत्कालीन डीजी प्रवीण दिक्षित ने उन कमियों को दूर कर सख्ती की और अब लोगों के बीच तालमेल बेहतर बन गया.रिश्वत से हर आम आदमी परेशान हैं.और दिक्कतों का सामना भी उसे ही करना पडता है.इसलिए ऐसे लम्हों में ACB को भी अपने फर्ज को नही भूलना चाहिए…भले ही वह पुलिस वालों के खिलाफ कार्यवाई हो या किसी दूसरे विभाग के भ्रष्ट और रिश्वत खोर कर्मचारी के लिए.हम आपके सामने महाराष्ट्र ऐंटी करप्शन ब्योरो के जरिए 2013 से हुई कार्रवाई का आंकडा आपके सामने पेश करते हैं…..जिसे देख कर आप खुद अंदाजा लगा सकते हैं कि साल 2014 में कार्रवाई का आंकडा काफी बढा है..साथ में कार्रवाई की क्वालिटी मे भी काफी फर्क आया.
२०१३ केस २०३ आरोपी २५५
२०१४ केस ३५३ आरोपी ४८३
इसे देख कर आप अंदाजा लगा सकते हैं…कि पिछले साल के मुकाबले में इस सा 150 मामले ज्यादा दर्ज हुए जबकि .ही आंकडा अगर बढोतरी का देखा जे तो यह आंकडा 74 प्रितिशत ज्यादा है.इस बढते हुए आंकडे के पीछे एक बडी वजह यह भी मानी जाती है कि ग्रामीण क्षेत्रों मे जो लोगों मे जागरुकता बढी है.इसी की वजह से लोग ACB की दहलीज पर दस्तक देते हैं.और इस तरह से रिश्वत खोरों के खिलाफ कार्वाई होती हैं