भारत पाक के बीच हर महीने मैच की ख़बर शायद आप को झूठी लगे पर ये सोलह आने सच है। इस से पहले कि आप को ये बातायें कि कहाँ और किस देश में हर महीने भारत पाक का मैच होता है। उस से पहले आप को इन देशों के क्रिकेट प्रेमियों के बारे कुछ मज़ेदार बातें बताना अधिक उचित होगा। जो आप के दिल को छू लेगी। जी हाँ आप ने भी कई बार ऐसा किया होगा भारत पाक के मैच के दौरान।
विश्व के किसी भी देश से भारत की मैच होने पर उतना उत्साह नही होता जितना कि पड़ोसी देश पाक के साथ होने से होता है। सरहदों पे तैनात फौजी भी भारत के जीत पर इतने जोश में होते है, जैसे उन्होंने इस्लामाबाद में तिरंगा लहरा दिया हो। मैच शुरू होने से कुछ घंटे पहले से ही सड़क पर चहलकदमी ख़त्म होती दिखने लगती है। शहर हो या गाँव ऐसे सन्नाटा छाने लगता है जैसे ये शहर और गाँव वर्षों से वीरान पड़ी हो। बाहर से लेकर घर के अंदर तक शांति ही शांति रहती है टीवी के पास ऐसे जमावड़ा लगने लगती है, जैसे पहले ज़माने के लोग अपने बुजुर्गों को संध्या के समय घेर लेते थे। और किस्से कहानी सुन कर जीवन के उतरवा चढ़ाव को समझते थे। क्रिकेट से जीवन शैली तो नही बदलती परंतु मन को ज़रूर बहलाती है। एक दिन ऐसा भी था, जब किसी बच्चा को बहला फुसला कर एंटिना हिलाने के लिए तैयार करा लेते थे। जो पूरी मैच तक छत पर बैठा रहता था। ताकि एक भी बॉल मिस ना हो पर कुछ ही दिनों बाद क्रिकेट प्रेम की लहर ऐसे दौड़ी कि बच्चा बूढ़ा जवान से लेकर लड़कियाँ भी क्रिकेट प्रेमी हो गईं।
मैच के दौरान सिक्सर या फॉर लगने पर सब एक स्वर में चिल्ला कर खुशी जाहिर करते हैं। इस में ख़ास बात ये होती है कि मैच वाले दिन चाहे जितना शोर मचाओ घर वाले बिल्कुल बुरा नही मानते। शिष्टाचार की पोटली बना कर जेब में डाल देते हैं। शायद इस लिए कि बीच में वे भी अपनी प्रतिक्रिया देते हैं हवा में उछाली बॉल को देखकर धीरे धीरे कुर्सी से उठते हैं फ़िर बॉल को बाउंड्री लाइन के बाहर जाते देख इत्मीनान से बैठ जाते हैं। कुछ लोग तो मैच कम देखते हैं बगल वाले को तंग ज्यादा करते हैं। मान लो कोहली ने एक भी बॉल मिस किया फ़िर उसकी बुराई शुरू। किसने सलेक्ट किया है इसे। अब इस में दम नही। बच्चे के साथ खेलना चाहिए इसे। ये सारी बातें बगल वाले की कमीज़ खींच खींच के ज़बरदस्ती सुनाते हैं।
ये कहना ग़लत नही होगा कि मैच वाले दिन पूरे भारत की सबसे अधिक झूठ बोली जाने वाली दिन होती है। मैच देखने के लिए स्कूल, कॉलेज से लेकर हर प्रकार के दफ्तर में झूठ बोली जाती है। किसी के माँ , बाप बीमार पड़ जाते हैं। तो किसी का बेटा या पत्नी बीमार पड़ जाते हैं। तो कोई पेट दर्द का बहाना बना कर निकल जाता है।
मैच जीत जाने पर इतने पठाके छूटते हैं जैसे दिवाली या शबेबारात में देखने को मिलता है। यदि भारत की हार हो गई तो समझो कोई पहाड़ टूट गया हो। बात बात पर झल्ला के ऐसे बोलते हैं, जैसे जीवन में अब कुछ न रहा सब कुछ लूटा के बैठे हों। ये क्रिकेट प्रेमी तो ऐसे ही होते हैं। चाहे भारत के हों या पाकिस्तान के मन और धन दोनों लगा देते हैं क्रिकेट देखने के लिए और ये प्रेम सरहदों तक ही सीमित नही रहती। भारत पाकिस्तान से कई हज़ारों किलो मीटर दुर सऊदी ,दुबई , कतर, ओमान जैसे देशों में भारत और पाकिस्तान के प्रवासी इस क्रिकेट प्रेम को अपने दिलों में जिंदा रखते हैं। 12 घंटे काम करने के बाद भी अपने वतन का मैच देखे बिना न खाना खाते हैं न ही सोते है। और ये वही अरब देश हैं जहाँ प्रवासी हजारों रेयाल व दीनार लगा कर हर महीने टूर्नामेंट कराते हैं। जिसमें कई देशों के प्रवासी भाग लेते हैं। इन देशों में शुक्रवार को साप्ताहिक छुट्टी रहती है। इस लिए मैच सिर्फ़ शुक्रवार को ही खेला जाता है फ़िर दूसरी टीम अगले शुक्रवार को खेलती है लेकिन जब भारत पाक प्रवासियों का मैच होता है तब वर्ल्ड कप से कम रोमांच देखने को नही मिलता है। क्योंकि कुछ प्रवासी दर्शक बन कर अपने अपने देश के खिलाड़ियों का साहस ताली बजा कर बढ़ाते हैं। खेल में हार जीत तो होती रहती है पर भरतीय प्रवासी ही ज्यादा तर जीत हासिल करते हैं। मैच ख़त्म होने के बाद दर्शक प्रवासी विजेता खिलाड़ी को कंधे पर बैठा कर फील्ड का चक्कर लगाते हैं तथा अच्छे होटेल में डिनर का ऑफर भी देते हैं। वहीँ पाक प्रवासी मैदान में ही एक दूसरे को कोसते हुए नज़र आते हैं और कभी कभी तो इतने आगे बबूला होते हैं कि आपस में मारपीट भी कर लेते हैं। शायद भारत से हारना उन्हें ज्यादा नागवार लगता है। कुछ लोग तो इस रमजान में रोज़ा रख कर भी क्रिकेट खेलने से बाज नही आते जैसे मैच न हो होम वर्क हो। वहीँ कुछ लोगों की नज़र इस ICC चैम्पियन पे टिकी हुई है। ये प्रवासी दूवा कर रहे हैं कि इस मैच में भी भारत पाक के विरुद्ध खेले और जीत जाए ताकि हमारी दोहरी ईद हो।