इसी साल 26 अप्रैल को कश्मीर में 22 सोशल मीडिया पर एक महीने का प्रतिबंध लगाया गया था इनमें व्हाट्सऐप, फेसबुक और ट्विटर भी शामिल थे जिनका ज़्यादातर लोग इस्तेमाल करते हैं। बैन का कारण बताया गया था कि ‘भारत-विरोधी तत्व’ इनका ग़लत इस्तेमाल कर रहे हैं।
इस बैन से सभी कश्मीरी प्रभावित हुए थे। अनंतनाग ज़िले के 16 साल के जियान शफीक़ ने उस दौरान कश्मीरियों के लिए एक अलग फेसबुक बना डाला जिसको उन्होंने ‘कैशबुक’ नाम दिया। कैशबुक का आइडिया नया है, पर शफीक और उनके मित्र ने इसे वर्ष 2013 में ही बना दिया था।
तब शफीक मात्र 13 साल के थे और उनके मित्र उजेर 17 साल के। शफीक को बचपन से ही कोडिंग में काफी दिलचस्पी थी। उनके पिता सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं और निश्चित रूप से इसकी प्रेरणा उनसे ही मिली। बचपन से ही उन्होंने शफीक को लैपटॉप पर काम करने दिया।
शफीक ने जब एचटीएमएल टैग्स लिखने शुरू किए तो उसकी कोडिंग में भी रुचि बढ़ी। हाल की दसवीं पास करने वाले शफीक का कहना है कि शुरू में कैशबुक चलन में नहीं आया, पर ऐसा नहीं है कि कोई इसका इस्तेमाल नहीं करता था। शफीक के अनुसार कुछ दिनों पहले मिले ईमेल से उनको आश्चर्य हुआ क्योंकि लोग अब भी पुरानी कैशबुक वेबसाइट इस्तेमाल कर रहे हैं।
फिर बैन के दौरान देखा कि लोगों को सोशल मीडिया की ज़रूरत है, तो मैंने उजेर के साथ उस पर फिर से काम शुरू किया और परिणाम सामने है। अब कैशबुक की अपनी वेबसाइट है और एनड्रॉएड ऐप भी। शफीक ने बताया कि वे आईओएस ऐप भी जल्द लॉन्च करेंगे।
सोशल नेटवर्क को फिर से शुरू करने के बाद इसके यूजर्स तेजी से बढ़े हैं। अब शफीक और उजेर वेबसाइट बंद नहीं करेंगे। घाटी में कैशबुक फेसबुक से बेहतर परिणाम दे रहा है। शफीक कहते हैं कि साइट की खासियत यह है कि यह वीपीएन के बिना काम करती है और लोग इस तक आसानी से पहुंच सकते हैं।
इसकी एक और खूबी के बारे में उन्होंने बताया कि यह वह मंच है, जहां से लोग अपना बिजनेस बढ़ा सकते हैं। माल बेच सकते हैं। शफीक को उम्मीद है कि इससे कश्मीर में बनने वाली चीजों और उनकी बिक्री में इजाफा होगा और सबसे महत्वपूर्ण कैशबुक से कश्मीरी आपस में संवाद जारी रख सकते हैं।