अब्दुल रशीद अगवान
मुल्क में कई लीडर यह समझते हैं कि तमाशा करने से जनता ज़्यादा ख़ुश होती है, पीछे चल देती है और वोट देती है। और तक़रीबन ऐसा है भी।
दिल्ली में पिछले एमसीडी चुनाव ने इसको साबित भी किया है। जनता ने उस पार्टी को तीसरी बार जीता दिया है जो पिछले दस साल से दिल्ली को एक राजधानी-सा लगने वाला शहर बनाने में पूरी तरह नाकाम रही है। कल जारी डेटा ने सह साबित कर दिया है कि स्वच्छता इंडेक्स में तीनों एमसीडी मुल्क के दूसरे शहरों के मुक़ाबले में फिसड्डी हैं। नोर्थ एमसीडी 279वें पायदान पर है, साउथ एमसीडी 202वें पर है और ईस्ट एमसीडी 196वें पर। यहां तक कि वीआईपी एनडीएमसी भी 7वें मक़ाम पर रही।
यह तो तब है जबकि देशभर में 2014 से भारत स्वच्छता अभियान जारी है और उसके नाम पर अच्छा ख़ासा टेक्स वसूला जा रहा है।
स्वच्छता इंडेक्स में अगर ओखला जैसे इलाक़ों की बात की जाए तो शायद दिल्ली और भी बदसूरत नज़र आएगी। मगर अफसोस तो यह है कि यहां भी नेताओं ने काम से ज़्यादा तमाशों को ही अहमियत दे रखी है।
मगर ओखला में हालात बदल रहे हैं। यहां से शोएब दानिश का तीसरी बार जीतना यह साबित करता है कि अब तमाशे से ज़्यादा काम को अहमियत हासिल होगी।