By Maeeshat News
आतंकवाद और कश्मीर पर भले ही भारत व तुर्की के बीच बहुत अच्छी केमिस्ट्री न बनी हो लेकिन द्विपक्षीय कारोबार के मुद्दे पर दोनों देशों के बीच बेहतर तालमेल बनता दिख रहा है। पीएम नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति इर्डोगन द्विपक्षीय कारोबारी रिश्तों को कितना महत्व दे रहे हैं इसे इस बात से समझा सकता है कि दोनों ने भारत तुर्की के उद्यमियों के बीच बुलाई गई शीर्षस्तरीय बैठक को संबोधित किया।
तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तईप एर्दोगन ने भारत तुर्की बिजनेस फोरम पर कहा, “मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से सहमत हूं कि हमें अपने आर्थिक संबंध मजबूत करने चाहिए और आज (सोमवार) हमारे पास इस संबंध में विस्तार से बात करने का मौका है।”

Turkish President Tayyip Erdogan arrives at a convocation at Jamia Millia Islamia University in New Delhi.
उन्होंने कहा, “मुक्त व्यापार समझौता (एफटीए) वार्ता शुरू करना अच्छा रहेगा, जिससे हमारे रिश्तों को और मजबूती मिलेगी।” एर्दोगन ने फोरम के आयोजक भारतीय उद्योग मंडल (फिक्की) द्वारा तुर्की में संपर्क कार्यालय खोलने और भारत में तुर्की के आयात कार्यालय खोलने की बात पर कहा कि व्यापार संतुलन बहुत अधिक तुर्की के खिलाफ है। उन्होंने कहा, “भारत और तुर्की के बीच संयुक्त व्यापार में संतुलन होना चाहिए और इस दिशा में कदम उठाए जाने चाहिए।”
इतना ही नहीं दोनों देशों के बीच मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) की संभावना तलाशने पर सहमति बनी है और साथ ही अगले चार वर्षो के भीतर मौजूदा द्विपक्षीय कारोबार 6.5 अरब डॉलर को बढ़ा कर 10 अरब डॉलर करने का लक्ष्य भी तय हुआ है। मोदी ने तुर्की के निवेशकों से आग्रह किया कि भारत की तेज रफ्तार अर्थव्यवस्था और सरकार की तरफ से जारी कार्यक्रमों का फायदा उठाने के लिए आगे आना चाहिए। उन्होंने सरकार एक नये भारत के निर्माण में जुटी हुई है और देशी विदेशी निवेशकों के लिए यह निवेश करने का एक बहुत ही बढि़या मौका है। खास तौर पर तुर्की की कंस्ट्रक्शन कंपनियों को यहां निवेश करना चाहिए क्योंकि दुनिया भर में उनका नाम है और भारत में इस उद्योग के लिए काफी संभावनाएं हैं।
तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोगान को आज जामिया मिलिया इस्लामिया के मुख्तार अहमद अंसारी सभागार में मानद डॉक्टरेट की उपाधि भी दी गई।
इस मौके पर जामिया में सामाजिक विज्ञान संकाय में तुर्की भाषा और साहित्य कार्यक्रम के संस्थापक डाक्टर मोहसिन अली ने बताया कि जामिया और वरिष्ठ कांग्रेसी नेता मुख्तार अहमद अंसारी के साथ तुर्की के बहुत पुराने संबंध थे।
डाक्टर अली के मुताबिक जब तुर्की अपनी आजादी के लिए संघर्ष कर रहा था तो उस समय मुख्तार अहमद अंसारी भारत की ओर से तुर्की की जनता को मदद देने के लिए पहुंचे थे और तुर्की के प्रमुख बैंक इश की स्थापना मुख्तार अहमद अंसारी और भारत की जनता के आर्थिक सहयोग से ही हुई थी।