By Staff reporter, Maeeshat
उत्तर प्रदेश में नई सरकार आते ही अवैध बूचड़खानों पर ताले लगने शुरू हो गए हैं। इस मुहिम के शुरू होते ही मीट कारोबारी भी मुश्किल में है। नोट बंदी के बाद जहाँ सबसे ज्यादा नुकसान गरीब तबके को हुआ वही इस मुहीम से कई लोग बेरोजगार भी हो रहे हैं।
यूपी में लगभग साढ़े तीन सौ से ज्यादा बूचड़खानों चलते हैं। यूपी देश में भैंस के मीट का सबसे बड़ा निर्यातक है। बूचड़खाने बंद होने से लाखों लोग बेरोजगार हो रहे हैं। पश्चिमी यूपी में सबसे ज्यादा बूचड़खाने मेरठ, गाजियाबाद और अलीगढ़ जिलों में हैं।
बूचड़खानों से करोड़ों का चमड़े का कारोबार चलता है। वहीँ कच्चा चमड़ा व्यापार के अलावा बैग, बेल्ट और जूते का व्यापार भी होता है। कानपुर में 6 वैध बूचड़खाने और पचास से ज्यादा अवैध बूचड़खाने हैं। इनसे 50 करोड़ का मीट रोज व्यापार के लिए भेजा जाता है।
महाराष्ट्र, पंजाब और उत्तर प्रदेश तीन ऐसे प्रमुख राज्य हैं जहाँ से सबसे ज़्यादा भैंस के मांस का निर्यात होता है। अकेले उत्तर प्रदेश में 317 पंजीकृत बूचड़खाने हैं। भारत से निर्यात होने वाले मांस और इससे जुड़े कारोबार में मुसलमानों की तुलना में ग़ैर-मुस्लिम कारोबारियों की संख्या भी खासी ज़्यादा है।
देश में लगभग 3,616 बूचड़खाने हैं, जिनमें 38 अत्याधुनिक या यांत्रिक हैं, और इनके अलावा 40,000 से ज्यादा अवैध बूचड़खाने भी हैं। आम धारणा के विपरीत मुगलों की बजाय यूरोपीय शक्तियों के शासनकाल में गायों के वध का बड़ा व्यापार प्रारंभ किया गया, जो आज भी जारी है।
इतना ही नहीं बूचड़खानों को बंद करने का फैसला सिर्फ कारोबारियों या मजदूरों को ही प्रभावित नहीं करेगा। बल्कि किसानों पर भी इसका व्यापक असर पड़ेगा। 2012 के पशुधन जनसंख्या के अनुसार यूपी में भैंस और गाय की तादाद में भारी इजाफा हुआ है। 2007 के मुकाबले भैंसों की संख्या में 28 फीसदी बढ़ोतरी हुई जबकि गाय की संख्या में 10 फीसदी इजाफा हुआ। बिना दूध वाली गाय और भैंस को पालना किसान के लिए बड़ी चुनौती होती है। आमतौर पर किसान उन्हीं मवेशियों को अपने पास रखते हैं जो या तो खेती के काम में आते हैं या जो दुधारू होते हैं। बाकी दूसरे मवेशियों को किसान बेच देते हैं। ऐसे मवेशियों को चारा खिलाना भी किसानों के लिए बड़ा संकट माना जाता है।