By Maeeshat News
भारतीय विदेश सेवा (आईएफएस) के पूर्व अधिकारी और सांसद सैयद शहाबुद्दीन का लंबी बीमारी के बाद नोएडा के एक अस्पताल में शनिवार सुबह निधन हो गया। पूर्व सांसद सैयद शहाबुद्दीन एक कुशल राजनेता प्रसिद्ध समाजसेवी एवं भारतीय विदेश सेवा के कर्तव्यनिष्ठ अधिकारी रहे थे।
सैयद शहाबुद्दीन की पैदाईश 4 नवम्बर 1935 में झारखंड के रांची में हुई थी। उन्होंने कैरियर की शुरूआत एक राजनयिक और एक राजनेता के रूप शुरू किया। वे भारतीय विदेश मंत्रालय में दक्षिण पूर्व एशिया, हिंद महासागर और प्रशांत के संयुक्त प्रभारी सचिव भी रहे।
सैयद शाहबुद्दीन बाबरी मस्जिद आंदोलन के समय सुर्खियों में आए पूर्व आईएफएस अधिकारी एवं ऑल इण्डिया मुस्लिम मजलिस-ए-मुशवरत के पूर्व प्रेसिडेंट सैयद शहाबुद्दीन 1985 के संसदीय उपचुनाव में जनता पार्टी ( गैर कांग्रेसी दल ) के टिकट पर मुस्लिम बहुल किशनगंज संसदीय क्षेत्र से पहली बार सांसद चुने गए थे।
उन्होंने कैरियर की शुरूआत एक राजनयिक और एक राजनेता के रूप शुरू किया। वे भारतीय विदेश मंत्रालय में दक्षिण पूर्व एशिया, हिंद महासागर और प्रशांत के संयुक्त प्रभारी सचिव भी रहे।
सैयद शहीबुद्दीन बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी के सदस्य थे। उन्होंने इस मुद्दे पर देश भर के बुद्धिजीवियों को लामबंद किया। उन्होंने ही बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी की नीव रखी थी। वे बाबरी मुद्दे को कोर्ट और दूसरे फोरम तक लेकर गए। वे मानते थे कि भारतीय मुसलमान पहले मुसलमान है फिर भारतीय है।
शहाबुद्दीन के कलम के सभी कायल थे. जब कुछ साल पहले उन्होंने अपनी मैगजीन मुस्लिम इंडिया को बंद करने का एलान किया तो उनके विरोधी विचारधारा के लेखक सुधेंद्र कुलकर्णी ने इंडियन एक्सप्रेस में लेख लिखकर उनकी काबलियत को सलाम किया था।
शनिवार दोपहर जोहर की नमाज के बाद दिल्ली के निजामुद्दीन स्थित पंज-पीरान कब्रिस्तान में उन्हें सुपुर्द-ए-खाक कर दिया गया। इस मौके पर उप-राष्ट्रपति डॉ. हामिद अंसारी, स्वामी अग्निवेश, सांसद बदरुद्दीन अजमल समेत कई बड़े नेता व पूर्व विदेश सचिव मौजूद रहे। सैयद शहाबुद्दीन ने बाबरी विध्वंस के बाद लोकसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था।