Generic selectors
Exact matches only
Search in title
Search in content
Post Type Selectors
Generic selectors
Exact matches only
Search in title
Search in content
Post Type Selectors

मौलाना आज़ाद नेशनल उर्दू यूनीवर्सिटी हैदरआबाद में इस्लामी मालियात-और -फ़रोग़ तिजारत पर ख़िताब

by | Jul 4, 2025

मौलाना आज़ाद नेशनल उर्दू यूनीवर्सिटी हैदरआबाद में इस्लामी मालियात-और -फ़रोग़ तिजारत पर ख़िताब

दाएं से:डाक्टर अबदुस्समद मुहम्मद,दानिश रियाज़,मैनेजमैंट-ओ-कॉमर्स डिपार्टमैंट की डीन डाक्टर संयम फ़ातिमा और डाक्टर ख़्वाजा सफ़ी उद्दीन को देखा जा सकता है:तस्वीर मईशत

दाएं से:डाक्टर अबदुस्समद मुहम्मद,दानिश रियाज़,मैनेजमैंट-ओ-कॉमर्स डिपार्टमैंट की डीन डाक्टर संयम फ़ातिमा और डाक्टर ख़्वाजा सफ़ी उद्दीन को देखा जा सकता है:तस्वीर मईशत

हैदराबाद(मईशत ): इस्लामी मईशत रोज़ बरोज़ तरक़्क़ी की मंज़िलें तै करती जा रही है जबकि इस्लामी बैंकिंग की ग़ैर मुस्लिम ममालिक में पज़ीराई हो रही है।इस्लामिक इंशोरंस या तक्काफ़ुल पर कंपनीयों के साथ अब हुकूमतें भी तवज्ह  दे रही हैं और इस्लामिक इंशोरंस के इदारे क़ायम करने में पेश पेश हैं।मलेशिया में इस्लामिक इंशोरंस पर ज़ोर-शोर से काम हो रहा है जबकि ग़ैर मुस्लिम कंपनीयां इस्लामिक इंशोरंस से इस्तिफ़ादा कर रही हैं। इन ख़्यालात का इज़हार डाक्टर अबदुस्समद मुहम्मद,अस्सिटेंट प्रोफेसर सलमान बिन अबद उल-अज़ीज़ यूनीवर्सिटी,सऊदी अरबिया ने मौलाना आज़ाद नैशनल उर्दू यूनीवर्सिटी ,हैदराबाद में मैनेजमैंट और कॉमर्स के तलबा को ख़िताब करते हुए किया।उन्हों ने कहा कि मआशी मंदी के बाद पूरी दुनिया एक ऐसे निज़ाम की तलाश में मसरूफ़ है जो उन्हें सुकून अता करसके और अलहमदु लिल्लाह उन्हें इस्लामी मईशत में वो बातें नज़र आई हैं जिस के पेशे नज़र इस्लामी मालियात पर पूरी दुनिया में रिसर्च हो रहा है और इस ज़िमन में इदारे क़ायम किए जा रहे हैं।उन्हों ने पॉवरप्वाइंट परज़नटीशन के ज़रीया मैनेजमैंट और फाइनांस के तलबा को बावर किराया कि अगर वो मौजूदा दुनिया में इस्लामिक फ़ाइनास की तरफ़ तवज्जा देते हैं और इस बाब में अपनी सलाहीयतें लगाते हैं तो यक़ीनन उन्हें बेहतर नताइज मिलेंगे।

बैन-उल-अक़वामी मईशत के ऐडीटर और मईशत मीडीया ग्रुप के मैनेजिंग डायरैक्टर दानिश रियाज़ ने तलबा-ओ-तालिबात को ख़िताब करते हुए जहां ज़ाती तिजारत में दिलचस्पी लेने की तलक़ीन की वहीं मौजूदा माहौल में अपनी तिजारत के फ़वाइद का तज़किरा करते हुए कहा कि हमारे तलबा तालीम की तकमील से क़बल ही मुलाज़मत और नौकरी की तलाश शुरू करदेते हैं उन्हें वो इदारे अच्छे लगते हैं जहां से बाआसानी पलीसमनट होजाए।हालाँकि होना तो ये चाहीए कि वो अपनी तिजारत को फ़रोग़ देने के गुर ज़माना-ए-तालिब इलमी से ही सीखें और ये मिज़ाज बनाईं कि इंशाअल्लाह वो मुलाज़मत लेने वाले नहीं मुलाज़मत देने वाले बनेंगे।उन्हों ने कहा कि जब आप का मिज़ाज ये बिन जाये कि आप नौकरी नहीं ,नौकर की तलाश करेंगे तो यक़ीन जानें ज़िंदगी का पूरा नक़्शा ही बदल जाएगा और आप के जीने,रहने सहने,बातचीत करने में नुमायां तबदीली रौनुमा होगी।दानिश रियाज़ ने रिज़्क हलाल कमाने पर ज़ोर देते हुए कहा कि हमारे समाज में मनफ़ी मिज़ाज रच बस गया है।हम दूसरों के प्रोडक्ट का बाईकॉट करने की बात तो करते हैं लेकिन अपना प्रोडक्ट मार्कीट में पेश नहीं करते।हालाँकि हमारे तलबा-ओ-नौजवानों के अन्दर ऐसी सलाहीयतें हैं कि वो बेहतर से बेहतर प्रोडक्ट पेश कर सकीं लेकिन कोई उन की रहनुमाई करे वाला नहीं है लिहाज़ा वो जहां चाहते हैं मुलाज़मत करते हैं और अपनी सलाहीयतें चंद रूपियों के इव्ज़ गिरवी रख देते हैं ऐसे में ना तो वो हलाल-ओ-हराम की तमीज़ कर पाते हैं और ना ही इस बारे में कुछ सोच पाते हैं लिहाज़ा मेनिया चाहता हूँ कि हमारे तलबा जब कभी भी किसी के यहां मुलाज़मत करें तो वो इस बात का ज़रूर जायज़ा ले लें कि इन का कारोबार हलाल है या नहीं।

मौलाना आज़ाद नैशनल उर्दू यूनीवर्सिटी के अस्सिटैंट प्रोफ़ैसर (मालिया) डाक्टर ख़्वाजा सफ़ी उद्दीन ने इस मौक़ा पर मेहमानों का शुक्रिया अदा करते हुए कहा कि हमारे इदारे की कोशिश ये रहती है कि हर फ़ील्ड के माहिरीन को यहां जमा किया जाये और उन से इस्तिफ़ादा किया जाये अलहमदु लिल्लाह ये सिलसिला जारी है और आइन्दा भी हम इस सिलसिले में कोशिश करते रहेंगे।

Recent Posts

छटा राष्ट्रिये अल्पसंख्यक बिज़नेस समिट 2014, देश भर के उध्योगपतियों से शिरकत का आह्वान

अल्पसंख्यकों की मआशी क़ौमी धारे में शमूलीयत: मर्कज़ी हुकूमत का योग्दान और अल्पसंख्यकों का लायेहा-ए-अमल नवंबर 2014,बवक़्त : 6:30बजे(शाम) ,इंडिया इस्लामिक कल्चरल सेनटर ,लोधी रोड,नई दिल्ली मईशत ने अपने सफ़र का आग़ाज़ EVENTआर्गेनाईज़ करने से किया है जो बतदरीज Maeeshat Media Pvt...

औरंगाबाद मौलाना आज़ाद मिलेनियम कॉलिज आफ़ मैनेजमैंट में मईशत की जानिब से मआशी बेदारी प्रोग्राम

औरंगाबाद: अगर कोई ऐसा इदारा आता है जो लाखों लोगों से फुट जमा करे और जिन लोगों को फुट की ज़रूरत है उन को फ़राहम करे तो ये शरीयत की रोसे एक भलाई का काम है उस की ज़रूरत है और ऐसे इदारे होने चाहिऐं । मसला जब पैदा होता है जब ये इदारा ग़लत तरीक़ा से काम करते हैं । आप एक मौजूदा...