आज़मगढ़ में वंचित समाज की सुरक्षा का सवाल अहम सवालों में से एक है जिससे हर वर्ग के शोषित, दमित और पीड़ितों को न्याय की गारंटी हो सके। आजमगढ़ में पहले से ही आतंकवाद के नाम पर मुस्लिम युवकों को फ़साने की लम्बी फेहरिस्त है। योगी सरकार में दलित, पिछड़ा और मुस्लिम समाज के नवजवानों को इनकाउंटर में गोली मारकर हत्या और घायल किया गया।
मुस्लिम नवजवानों को फर्जी मुकदमों में फंसाना और अदालतों से ज़मानत के बाद रासुका लगाकर जेलों में सड़ाने की साजिश, 2 अप्रैल 2018 के भारत बंद के दौरान पुलिस द्वारा बर्बर लाठीचार्ज और फर्जी मुकदमें कायम करना, डाक्टर अम्बेडकर की प्रतिमा को क्षतिग्रस्त करना, दलित छात्राओं के साथ अम्बेडकर की फोटो वाला लाकेट पहनने पर कॉलेज प्रशासन द्वारा जातिगत भेदभाव करना शामिल है।
आज़मगढ़ में मुठभेड़ के नाम पर 6 लोगों (मोहन पासी, जयहिंद यादव, मुकेश राजभर, रामजी पासी, राकेश पासी, छन्नू सोनकर) की गोली मारकर हत्या और दर्जनों के पैरों में बोरी बांध कर गोली मारी गई। मारे गए सभी पिछड़ी और दलित जातियों के हैं। वहीं इनकाउंटर में पैरों में गोली लगने से घायलों में कुछ अपवाद को छोड़कर सभी दलित, पिछड़े और मुसलमान हैं। घायलों को पुलिस उचित उपचार से वंचित रखकर अपाहिज बना रही है तो वहीं एक व्यक्ति भीम सागर का पैर काटना पड़ा। दूसरी ओर पुलिस पीड़ितों को एफआईआर की कॉपी, मेडिकल रिपोर्ट और अन्य महत्वपूर्ण दस्तावेज़ात की उपलब्धता में बाधा बन रही है। परिवारों को मुकदमों की पैरवी से दूर रहने के लिए भय का माहौल बना रही है।
आतंकवाद के नाम पर मुस्लिम नौजवानों को फर्जी मुकदमों में फ़साने, मुठभेड़ में मारने और जेलों में उत्पीड़न का सिलसिला सभी सरकारों की नियति में शामिल हो चुका है. सभी टेरर पालिटिक्स करते हैं जिसका शिकार मुस्लिम समाज होता है. जिसने आजमगढ़ की एक खतरनाक और बदनाम छवि निर्मित की है जिसका प्रतिरोध आजमगढ़ ने बदस्तूर किया है. भोपाल जेल में कैदियों को जिस तरह से निकालकर मारा गया ठीक उसी तरह जयपुर जेल में आजमगढ़ समेत अन्य जगह के कैदियों को मारने की साजिश एक बार फिर जेल प्रशासन द्वारा की गई.
जिले में अब तक चार लोगों को राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम के तहत पाबंद किया गया है। सभी मुसलमान हैं। इन सभी पर रासुका उस समय लगाया गया जब पुलिस द्वारा बनाए गए मुकदमों में उनको अदालत ने ज़मानत दे दी थी। जेल में सड़ाने के लिए रिहाई पाने के कुछ घंटे पहले उन्हें रासुका के तहत निरुद्ध कर दिया गया।
2 अप्रैल 2018 के भारत बंद के दौरान दलितों, पिछड़ों और मुस्लिमों के खिलाफ पुलिस ने बरबर लाठीचार्ज और हिंसा की। फर्जी मुक़दमे कायम किए गए और गंभीर धाराएं लगाकर सैकड़ों नवजवानों को जेल में बंद कर दिया गया था। ज़मानत तो हुई लेकिन मुकदमा बरकरार है जबकि कई प्रदेशों में ऐसे मुकदमों को फर्जी मानते हुए वहां की सरकारों ने उसे वापस लिया है।
आज़मगढ़ में कलेक्टर कार्यालय ग्राउंड, बीबीपुर, माहुल, बनगांव, राजापट्टी और तैयबपुर में अम्बेडकर प्रतिमा क्षतिग्रस्त करने की आधा दर्जन से अधिक घटनाएं हुयीं हैं। राजापट्टी में एक घटना में पुलिस ने अम्बेडकर प्रतिमा की देखभाल करने वाले दलित पर ही फर्जी मुकदमा कायम कर जेल भेज दिया। माहुल में एक कुंठित पंडित व्यक्ति द्वारा अम्बेडकर प्रतिमा तोड़ते हुए देख दलितों ने प्रतिरोध किया तो पुलिस खुद उसके पक्ष में खड़ी हो गई। जब पुलिस की इस हरकत के खिलाफ जनता ने प्रदर्शन किया तो पुलिस ने एक हज़ार अज्ञात लोगों के खिलाफ मुकदमा क़ायम कर दिया जिसमें करीब 250 महिलाएं हैं।
मेहनगर के गौरा गांव में समाज कल्याण विभाग द्वारा संचालित राजकीय आश्रम पद्धति बालिका इंटरकॉलेज में दलित छात्राओं को कथित रूप से सवर्ण प्रधानाचार्या और उनके रिश्तेदारों द्वारा अभद्र और भेदभावपूर्ण व्यवहार किया गया और उनके परिजनों को अंजाम भुगतने की धमकी दी गई। उनका दोष यही था कि उन्होंने अम्बेडकर के फोटो वाली लॉकेट पहन रखी थी।
हम मांग करते हैं कि सामाजिक न्याय और धर्मिर्पेक्षता का दावा करने वाली राजनीतिक पार्टियां सार्वजनिक रूप से:
- कथित इनकाउंटरों और इसके राजनीतिक पक्ष की निष्पक्ष विस्तृत जांच कराने और दोषियों को सज़ा दिलाने का वादा करें।
- जिन मुस्लिम नवजवानों को अदालतों से ज़मानत मिलने के बाद जेलों में कैद रखने के लिए रासुका के तहत निरुद्ध किया गया है उनकी रिहाई के प्रति प्रतिबद्धता जाहिर करते हुए और जिन फर्जी मुकदमों को आधार बना कर ऐसा किया गया है उनके साम्प्रदायिक पक्ष की जांच का वादा करें।
- आतंकवाद के नाम पर पकड़े गए बेगुनाहों की रिहाई पर स्थिति स्पष्ट करते हुए जेलों में उनकी सुरक्षा की गारंटी की जाए.
- 2 अप्रैल 2018 को वाजिब मांगों को लेकर किए गए भारत बंद के दौरान पुलिस बर्बरता की निंदा करते हुए फर्जी मुकदमें वापस लेने की अपनी प्रतिबद्धता जाहिर करें।
- अम्बेडकर प्रतिमाओं को क्षतिग्रस्त करने की घटनाओं की निष्पक्ष जांच और फर्जी मुकदमों की वापसी का वादा करें। पीड़ितों को मुआवज़ा देने की सार्वजनिक घोषणा करें।
- मेहनगर के गौरा गांव में समाज कल्याण विभाग द्वारा संचालित राजकीय आश्रम पद्धति बालिका इंटर कॉलेज में दलित छात्राओं द्वारा बाबा साहब की फोटो वाली लॉकेट पहनने पर अभद्र व्यवहार करने वालों के खिलाफ निष्पक्ष जांच और कड़ी कारवाई के समर्थन की घोषणा करें।
- उपर्यक्त सभी मामलों में पीड़ितों को उचित मुआवज़ा दिलाने का वादा करें।