
कोटा। साइकिल रिक्शा चालक छोटे खां (75) ने हाड़तोड़ मेहनत कर 12 साल में 1 लाख जुटाए। उन्होंने ये पैसे लकवे की चपेट में आई पत्नी मरियम बाई को हज करवाने के लिए इकट्ठा किए थे। लेकिन जब पत्नी का पैर ठीक नहीं हुआ तो उन्होंने अपनी माली हालत सुधारने की बजाय पूरा पैसा बच्चों के हॉस्टल बनाने के लिए दान कर दिया।
दरअसल, 8 साल पहले मरियम बाई के दोनों पांव लकवे की चपेट में आ गए। पांव ठीक हो जाएंगे और पत्नी को हज जरूर करवाऊंगा, इस उम्मीद में छोटे खां ने रकम जोड़ना शुरू कर दिया। कई सालों बाद हज के एक लाख तो जुड़ गए, लेकिन पत्नी के दोनों पांव नहीं रहे। लाचारी के चलते पत्नी हज नहीं कर पाईं तो छाेटे खां ने एक लाख रुपए हॉस्टल बनवाने के लिए दान दे दिए।
बकौल छोटे खां – मैंने सुना था कि बच्चों को शिक्षा देना खुदा की इबादत से कम नहीं होता। हम हज करने लायक नहीं बचे, हॉस्टल का एक बच्चा भी कुरान पढ़ना सीख गया तो मैं समझूंगा हमें हज का सवाब मिल गया।