By Asmad Habib For Maeeshat
हम पिछले तीन साल में एक नई बीजेपी के इन पुरे कार्यकाल को देखें तो इस दौर में देश ने बीजेपी अध्यक्ष के रूप में अमित शाह के उदय को देखा, जिनमें निर्ममता और अभूतपूर्व प्रशासनिक कौशल के साथ राजनीतिक होशियारी का बेजोड़ सम्मिलन है. वे एक ऐसी शख्सियत हैं जो प्रशंसा के मुकाबले भय ज्यादा पैदा करते है.
मोदी के तीन साल में बीजेपी का जलवा बढ़ा ही है। ऐसे में ये सवाल उठता है कि बीजेपी के लिए क्या काम कर रहा है – मोदी का नेतृत्व, अमित शाह की रणनीति या कमजोर विपक्ष? दूसरा पहलू ये है कि मोदी सरकार सबका साथ, सबका विकास के वादे के साथ सत्ता में आई थी। क्या वाकई मोदी सरकार सबको साथ लेकर चल पाई है?
जटिल और विरोधाभासी कानूनों की वजह से भारतीय अर्थव्यवस्था और व्यापार को अंतरराष्ट्रीय मापदंडों पर नकारात्मक रेटिंग मिलती है. रविशंकर प्रसाद कानून मंत्री होने के साथ आईटी मंत्रालय के भी मुखिया हैं, जिन्हें ‘डिजिटल इंडिया’ के स्वप्न को साकार करना है. अप्रासंगिक कानून और नौकरशाही की अड़चनों के कारण नरेंद्र मोदी सरकार तीन साल में बेहतर गवर्नेन्स लाने में विफल रही, तो फिर जनता के अच्छे दिन कैसे आएंगे…?
इतना ही नहीं भाजपा के तीन साल पुरे होने पर बाकी राजनितिक पार्टिओं ने अपने आकलन भी देने शुरू कर दिए हैं। आप नेता आशुतोष ने कहा कि मोदी सरकार के तीन साल का झूठ-सच जनता के सामने आना चाहिए। ताकि जनता को पता चले कि बड़े-बड़े दावे करने वाली केन्द्र की भाजपा सरकार ने देश की जनता के लिए कितना काम किया है।
आशुतोष ने कहा कि 2013 में मोदी ने आगरा में कहा था कि यदि उनकी सरकार केन्द्र में आयी तो एक करोड़ लोगों को रोजगार देंगे। लेकिन आज की हकीकत यही है कि देश के कोर सेक्टर टेक्सटाइल, टूरिज्म, इन्फ्रास्ट्रक्चर, रिटेल तथा हाउसिंग में रोजगार अपने न्यूनतम स्तर पर हैं। उन्होंने कहा कि देश के आठ कोर सेक्टर में रोजगार की दर 2009 में 10.06 थी जबकि 2016 में रोजगार की दर 2.31 है। सिर्फ एक लाख 10 हजार ही रोजगार दिये गये हैं जिसकी दर 0.5 प्रतिशत है। देश की रीढ़ माने जाने वाले आईटी सेक्टर की ग्रोथ 50 प्रतिशत नीचे गई है।
इस दौरान बीजेपी को लेकर कुछ बुरी खबरें आईं। खासकर गोरक्षा के नाम पर गुंडागर्दी के चलते बीजेपी की काफी किरकिरी हुई। 1 अप्रैल 2017 को गोरक्षा के नाम पर अलवर में मुस्लिम परिवार की पिटाई की गई और इस घटना में 1 व्यक्ति की मौत हो गई। 11 जुलाई 2016 को गोरक्षा के नाम पर ऊना में दलितों की बेरहमी से पिटाई की गई। मंदसौर में बीफ की अफवाह में मुस्लिम महिलाओं की पिटाई की गई। लातेहर में मुस्लिम पशु कारोबारियों की हत्या की घटना सामने आई। सितंबर 2015 में दादरी में बीफ की अफवाह में अखलाक की हत्या का मामला सामने आया।
मोदी सरकार के कार्यकाल में महापुरुषों पर कब्जे की लड़ाई भी देखने को मिली है। नेहरू और इंदिरा की विरासत को दरकिनार करने की कोशिश की गई। मोदी सरकार ने आंबेडकर पर जोर शोर से कार्यक्रम किए।
मामला इतने पर ही नहीं रुकता है इस बीच मोदी सरकार के लिए कश्मीर का मसला हल करने में काफी मुश्किल हो रही है। कश्मीर में पत्थरबाजी का सिलसिला जारी है। स्कूली लड़कियों के हाथ में भी पत्थर देखे गए। और तो और कश्मीर में 3 साल में 12 बड़े आतंकी हमले हुए और 3 साल में करीब 600 जवान शहीद हुए। 3 साल में पाकिस्तान की ओर से 1300 से ज्यादा बार सीजफायर का उल्लंघन किया गया। इतना सब कश्मीर को 80,068 करोड़ रुपये का पैकेज देने के बावजूद हो रहा है।