प्रस्तुत है मुसलमानों के इतिहास के कुछ ऐसे काले पन्नों जो उनकी आधुनिकता दुश्मनी, असहिष्णुता और हिंसा प्रकट करने के लिए पर्याप्त हैं। आज जिन मुस्लिम दार्शनिकों और वैज्ञानिकों का उल्लेख बड़े ही गर्व से किया जाता है और गौरवशाली अतीत के किस्सों से मुस्लिम दौर को एक सुनहरा दौर देख्या जाता है आइये आज हम आप को इतिहास के पन्ने में ले चलते है जहां आप को पता लगे गा के इन महान मुस्लिम दार्शनिकों और वैज्ञानिकों का हश्र किया हुआ.उन का हश्र देख कर आप की आँखे खुली रह जाए गी.
• याकूब अलकुण्डी नाम से हर मुसलमान अच्छी तरह परिचित है। दर्शन, भौतिकी, गणित, चिकित्सा, संगीत, रसायन, खगोल विज्ञान आदि अध्ययन में इस विद्वान ने बहुमूल्य सेवा अंजाम दी। कुछ खलीफा के दौर में कंदी को सरकारी संरक्षण मिली लेकिन खलीफा मुस्तासमबिल्ला के सत्ता आते ही कट्टरपंथियों ने उसका जीना मुश्किल कर दिया। खलीफा ने कंदी के पुस्तकालय कब्जे में ले लेने का आदेश जारी कर दिया। यही नहीं बल्कि इस महान विचारक को साठ साल की उम्र में बगदाद की सड़कों पर सरे आम पचास कोड़े मारे गए और हर कोड के साथ भीड़ खुशी से तालियां बजाते और नारे लगाता था।
• मुसलमानों के इतिहास का एक और दरख़शां सितारा इब्ने रुश्द है जो के बहुत बड़ा दार्शनिक था और उस की थ्योरी सच्चाई और खुदा बहुत मशहूर हुई थी और उस की थ्योरी से यूरोप समाज ने बहुत लाभ उठाया , लेकिन यह महान व्यक्ति भी बारहवें सदी के अंत में इमाम अबू यूसुफ के दरबार में सत्तारूढ़ होते ही लोग इस के खिलाफ हो गए । स्पेन की जामा मस्जिद में एक बड़ा सभा आयोजित किया गया। उस समय के काजी, उच्च पदाधिकारियों और बड़े उलेमा और धर्मशास्त्रियों ने इस सभा में भाग लिया। इब्ने रुश्द अपने चेलों के साथ उपस्थित हुआ। लंबी बहस और के बाद-विवाद के बाद खतीब मस्जिद ने फतवा दिया कि इब्ने रुश्द नास्तिक हो चुका है। सजा के रूप में इब्ने रुश्द और उसके चेलों को पास के एक बस्ती में नजरबंद कर दिया गया। सिवाय कुछ पुस्तकों के इब्ने रुश्द सभी किताबें जला कर राख कर दी गईं। इतिहासकारों ने यह भी लिखा है कि जब इब्ने रुश्द अपनी नजरबंदी को तोड़कर भागने की कोशिश की तो उसे पकड़ कर जामा मस्जिद के खंभे के साथ बांध दिया और हर आने जाने वाले से कहा गया के इस के मुंह पर थूके , इस तरह इब्ने रुश्द जलील हो कर पूरी जिंदगी यु ही घूमता रहा .
• इब्न सिना का नाम हमारे अतीत समलैंगिक के शीर्ष व्यक्तियों में से एक है। आधुनिक मेडिकल का नीव इब्ने सिंह के ही नाम है आज भी इस दौर में ह्यूमन बॉडी एनाटोमी की पुस्तक मेडिकल कॉलेज में सब्जेक्ट में है हमदान मंत्री ने इब्न सिना को अपना मंत्री नियुक्त कर रखा था। कट्टरपंथियों के साथ मतभेद की वजह से उसे छुपना पड़ा इस को खोजने में सेना ने उसका घर तबाह कर डाला और अमीर ने उसका सर काट करने का आदेश जारी कर दिया। इब्न सिना ने चिकित्सा पर अपनी सब से मशहूर किताब इसी प्ोशि के बीच लिखी थी। पूरी जिंदगी ये कट्टरपंथियों से छुप कर भागता रहा और उसे सर छुपाने की जगह नहीं मिली, ऐसे चिकित्सक को सम्मान मिलना चाहिए था मगर जिंदगी भर दर बदर की ठोकरे खता रहा !
* मोहम्मद ज़करिया अलराजि इतिहास में महानतम मुस्लिम चिकित्सक के रूप में जाना जाता है। अलराजि ने इतिहास में पहली बार खसरा और चेचक के अंतर को स्पष्ट किया, प्रक्रिया गढ़ने में सुधार और शायद इतिहास में पहली बार उसने मेडिकल एथिक्स की अवधारणा शुरू की। कहा जाता है कि अमीर समय अलराजि के पुस्तक में प्रस्तुत किए गए विचारों से इतना गंभीर मतभेद था कि वह आदेश जारी किया कि अलराजि की यह किताब लेखक के सिर पर तब तक जोर से मारी जाए जब तक कि किताब या सिर दोनों कोई एक फट न जाए। बुजुर्ग वैद्य ने यह सजा सहन कर ली लेकिन कुछ इतिहासकारों का मानना है कि वृद्धावस्था में इस दृष्टि चले जाने के कारण इसी घटना से लगने वाली सिर और मस्तिष्क की चोटें थीं।
• इब्ने -खलदून को ज्ञान इतिहास संस्थापक माना जाता है। हालांकि इसके साथ किसी दुर्व्यवहार के कोई सबूत तो नहीं मिलते लेकिन दिलचस्प बात यह है कि उन्नीसवीं सदी तक दुनिया में इस नाम से कोई परिचित भी न था। मुस्लिम समाज ने सदियों तक इसकी परवाह नहीं की लेकिन भला हो पश्चिम कफारों और मूर्तिपूजक का कि उन्होंने इस्लाम के इस महान सपूत को गुमनामी के अंधेरे से बाहर निकाला और दुनिया से परिचय। माशााललह अब मुसलमान इसका उल्लेख करते हुए भी फूल कर कपा जाते हैं।
( सांभर : अफ़ज़ल ख़ान, khabar ki khabar)