भारत में जातिगत पहचान को लेकर जारी बहस के बीच एक नया पड़ाव आ गया है. इसमें दलित पूंजीपतियों और मध्यम वर्ग के पहनावे को पहचान और बाजार से जोड़ते हुए कुछ खास तरह की कमीज़ जीरो प्लस नाम के ब्रांड से लॉन्च की गई हैं. इसके पहले ‘दलित फूड्स’ को लॉन्च किया गया था.
भारत में अस्मितावादी प्रयासों के इस पड़ाव पर पहुंचने वालों का दावा है कि वह देश में पहली बार किसी दलित पहनावे को इतने बड़े स्तर पर ब्रांड के तौर पर लांच कर रहे हैं.
दलित चिंतक चंद्रभान प्रसाद ने ‘दलित फूड्स’ के बाद ‘दलित शर्ट’ की एक सीरीज को लांच किया है. इस शर्ट को फिलहाल आॅनलाइन और सोशल नेटवर्क की मदद से बेचा जा रहा है. अभी ये शर्ट ट्रायल के लिए सोशल नेटवर्क की मदद से बेची जा रही हैं. ट्रायल के बाद ये शर्ट दलितशॉप डॉटकॉम नाम की वेबसाइट पर उपलब्ध होंगी.
चंद्रभान प्रसाद ने कहा, हम इस कमीज़ के माध्यम से दलितों का एक अखिल भारतीय ब्रांड स्थापित करेंगे. ये शर्ट दलितों के संपन्न मध्य वर्ग के सपनों को नई पहचान तो देगी ही साथ यह गरीब दलितों के लिए प्रेरणा स्रोत भी बनेंगी और उन्हें जीवन में आगे आने और सफलता हासिल करने के लिए प्रोत्साहित भी करेगी.
युवा दलित नेता जिग्नेश मेवानी का मानना है कि दलितों के पूंजीवादीकरण से उनकी असली समस्या असमानता और मानसिक गुलामी का इलाज नहीं हो सकता है. इस तरह के प्रयास दलितों के लिए रोजगार के अवसर मुहैया करने में कुछ प्रभावी हो सकते हैं लेकिेन यह दलितों में अमीर और गरीब की खाई को चौड़ा ही करेंगें, कम नहीं करेंगे. दूसरे अस्मिता के सवाल को गलत ढंग से हल करने का तरीका है.