By Staff-reporter, Maeeshat News
आज अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस है और विश्व भर में आज के दिन को बहुत ही सम्मान के साथ मनाया जाता है। आज समाज और देश के हर क्षेत्रों में महिलाओं के योगदान को याद किया जाता है। नारी सशक्तिकरण, शिक्षा, स्वास्थ्य और तमाम क्षेत्रों में उनके अपार योगदान को सम्मान दिया जाता है। लेकिन इतना कुछ होने के बाद भी हमारे समाज में पुरुष मानसिकता को कम नहीं किया जा सकता।
2012 में निर्भया कांड के बाद बने कानून और सुरक्षा नियमो से ऐसा लगा था मानो अब से महिला अपराध पर रोक ही लग जायगा। लेकिन वर्मा कमिटी के रिपोर्ट के बाद शायद थोड़ा बहुत महिला आपराधिक मामले को गम्भीरता से लिया जाने लगा था। महिलाओं की सुरक्षा के लिए कानूनी सख्तियां की गई हैं। लेकिन उसके बाद भी लड़कियों से छेड़छाड़, बलात्कार और गैंग रेप की घटनाएं रुकी नहीं हैं अभी भी मामला वहीँ का वहीँ है।
नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो की रिपोर्ट के अनुसार बताया गया है कि वर्ष 2015 में महिलाओं के विरुद्ध कुल 25,731 अपराध दर्ज हुए हैं. इसमें बलात्कार के 5,071 मामले भी शामिल हैं. 272 मामले गैंगरेप के हैं. वहीँ उत्तर प्रदेश में इस साल बलात्कार के 9,000 मामले दर्ज हो चुके हैं। यूपी एवं अन्य राज्यों की स्थिति एनसीआरबी की पिछली रिपोर्ट में बलात्कार के मामले में उत्तर प्रदेश तीसरे स्थान पर था।
वहीँ अगर महाराष्ट्र की बात की जाये तो 26,693 मामले महिलाओं पर अत्याचार के खिलाफ दर्ज किए गए हैं। वहीं असम में 19,139 मामले सामने आए। देश की राजधानी दिल्ली में 15,265 महिलाओं पर अत्याचार के खिलाफ मामले दर्ज किए गए हैं।
महिलाओं के 95 फीसदी बलात्कारी उनकी जान-पहचान वाले होते हैं। जी हां, एनसीआरबी के मुताबिक 2015 में बलात्कार के कुल 34651 मामलों में 33098 में आरोपी जान-पहचान वाले थे। इसमें अपने परिवार से लेकर रिश्तेदार, पड़ोसी और शादी का झांसा देने वाले भी शामिल रहें। सबसे शर्मनाक बात ये है कि इसमें करीब 1500 आरोपी सगे परिजन-नजदीकी रिश्तेदार, करीब 2000 दूर के रिश्तेदार और 9508 पड़ोसी थे। इससे जाहिर है बहार तो बहार घर के अंदर भी वो सुरक्षित नहीं हैं।
मामला इतने पर ही नहीं रुकता है कुछ दिन पहले सुचना के अधिकार पर पूछे गए सवाल पर आये जवाब जिसमे महिला के पहनावे और पश्चिमी सभ्यता को दोष दिया गया था। इस बात से पुरुष मानसिकता को दर्शाता है की कहीं न कहीं दोष आज भी महिलाओं पर दिया जाता है। इसी दौरान भाजपा के दयाशंकर सिंह ने महिला विरोधी बयान के बाद राजनितिक मामला और गरमाया लेकिन इन सभी में महिला सुरक्षा और घटना पर रोक की बात कहीं नहीं आई।
भारत में हर घंटे २२ बलात्कार के मामले दर्ज किये जाते हैं ये वो आकड़ें हैं वो प्रशासन द्वारा दर्ज किये जाते हैं। अधिकांस रिपोर्ट तो दर्ज ही नहीं होते हैं और कई मामले तो समाज और लोकलाज के डर से दर्ज ही नहीं किये जाते हैं।
देश में बढ़ते दुष्कर्म और आपराधिक मामले में जहाँ सामाजिक मानसिकता को दोष देना गलत नहीं होगा। पुरुष प्रधान समाज में आज भी औरतों की इजाजत और उसकी सुरक्षा पर सवाल खड़े हो रहे हैं। सरकार की तरफ से जहाँ इसके लिए फांसी तक की सजा मुक़र्रर की जा चुकी है वहां आज भी ऐसे अपराधों में कमी आने के बजाये तेज़ी से आंकड़े ऊपर आ रहे हैं।