शाहिद अंसारी न्यूज़ एक्सप्रेस
मुंबई । महाराष्ट्र कि जेलों में वीडियो कांफ्रेसिंग को लेकर एडिश्नल डीजी मीरा बोरवनकर नें मुंबई पुलिस कमिश्नर को आगाह किया है कि वीडियों कांफ्रेसिंग का सही इस्तेमाल अब तक नही होरहा है मीरा बोरनवकर के हाथ लिखी गई यह चिटठी जिसमें उन्होंने जेल प्रशासन से वीडियों कांफ्रेसिंग के इस्तेमाल ना करने का आरोप लगाया है कोर्ट से आरोपियों के फरार होने कोर्ट में आरोपियों की मिटिंग होने कोर्ट से बैठ कर वसूली करने जैसे गैर कानूनी कामों पर लगाम लगाने के लिए राज्य सरकार के आदेश के बाद महाराष्ट्र की सारी जेलों मे वीडियो कांफ्रेसिंग जरूरी करार दिया गया लेकिन हैरान कर देने वाली बात यह है कि अब तक इस आदेश का पालन जेलों में नही होरहा है मतलब आज भी आरोपियों को कोर्ट तक लाया जाता है इस बात की जानकारी राज्य की एडिश्नल डीजी कारा ग्रह मीरा बोरवनकर ने मुंबई पुलिस कमिश्नर राकेश मरिया को ख़त लिख कर आगाह किया । इस चिट्ठी में बोरवनकर ने कहा है कि जेल प्राशासन को यह आदेश दिया गया था कि वह आरोपियों को वीडियो कांफ्रेसिंग के जरिए कोर्ट में पेश करें लेकिन इस प्रक्रिया पर अब तक पूरी तरह से अमल नही किया गया हालांकि इस चिट्ठी से रिटाएर्ड पुलिस अधिकारियों ने सहमती जताई है रिटाएर्ड पुलिस अधिकारी पी.के जैन के मुताबिक इस तरह के कानूनों का पालन काफी पहले करने के लिए कहा गया था लेकिन दुख की बात है कि अबतक इन मामलों मे ढिलाई बरती गई है
वहीं दूसरी तरफ इस कानून का पालन ना करने के पीछे भी एक बडी वजह यह भी बताई जारही है कि आरोपियों की और प्रशासन की सांठ गाठ की वजह से इसपर जेल प्रशासन भी अमल नही करता क्योंकि आरोपियों का जेल और कोर्ट तक खुद का एक बडा नेटवर्क काम करता है और उसके लिए वीडियों कांफ्रेसिंग पर ना आना यही बडी वजह मानी जाती है कि अगर वीडियों कांफ्रेंसिग का इस्तेमाल हुआ तो इन सब की दुकानदारी बंद होजाएगी ।
मीरा बोरवनकर के इस पत्र में स्पष्ट शब्दों मे लिखा हुआ है कि वीडियों कांफ्रेंसिग क सही स्तेमाल यह है कि पुलिस का खर्च और साथ में कोर्ट से जेल तक का समय।उसके साथ साथ रोपी भाग ना जाए।किसी तरह की कोई और गति विधि मे वह जेल मे रहते हे शामिल ना हो इन सब बातों को ध्यान मे रखते हुए इसका इस्तेमाल करने को कहा गया हैं लेकिन शायद जेल प्रशासन इसका इस्तेमाल करना मुनासिब नही समझता ।