अयोध्या विवाद हिन्दुस्तान का एक अहम मुद्दा है,इस पर बिना किसी भेदभाव के सिर्फ कानूनी तौर पर फैसला होना चाहिए :- मौलाना अरशद मदनी (अध्यक्ष, जमीयत उलेमा हिन्द)
नई दिल्ली : अयोध्या राम मंदिर और बाबरी मस्जिद विवाद में मध्यस्थता विफल रही है। अब इस मामले में 6 अगस्त से खुली अदालत में रोज़ाना सुनवाई होगी जब तक कोई नतीजा नहीं निकलता। इस विवाद को सुलझाने के लिए बनाए गए मध्यस्थता पैनल ने गुरुवार को अपनी रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को सौंप दी थी। पैनल में रिटायर्ड सुप्रीम कोर्ट जज जस्टिस फकीर मुहम्मद इब्राहिम कलीफुल्ला, धर्मगुरु श्री श्री रविशंकर और वरिष्ठ वकील श्रीराम पंचू थे।
इस पैनल का गठन करते वक़्त सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि आपसी सहमति से कोई हल नहीं निकलता है तो 2 अगस्त को रोज़ाना सुनवाई पर विचार किया जाएगा।
सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने कहा कि हम इस मामले पर विभिन्न पहलुओं पर ग़ौर करेंगे।और साथ यह भी कहा कि सभी वकील अपने-अपने मामलों से संबंधित दस्तावेज तैयार कर लें जिन्हें आधार बनाकर वे बहस करेंगे। जिससे इस मामले से संबंधित दस्तावेजों की रजिस्ट्री पूरी कराई जा सके।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर संतोष व्यक्त करते हुए मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि जमीयत उलेमा हिंद अयोध्या विवाद पर शुरू से ही कोर्ट में मुकदमा लड़ रही हैं और कोर्ट से अपील करती हैं कि अयोध्या विवाद का निर्णय बिना किसी धार्मिक भेदभाव के कानूनी दृष्टि से हो ना कि आस्था को आधार बना कर किया जाए।