भारत सरकार के श्रम और रोजगार मंत्रालय द्वारा विमुद्रीकरण के दौरान नौकरियों को हुए नुकसान को लेकर तैयार की गई एक आधिकारिक रिपोर्ट (Fact Sheet) से निराशाजनक तस्वीर सामने आई है। विमुद्रीकरण से सबसे ज्यादा नुकसान असंगठित क्षेत्र को हुआ। अक्टूबर-दिसंबर तिमाही 2016 के दौरान हजारों फैक्ट्रियां और कारखाने बंद होने से 1,52,000 अस्थायी श्रमिकों को रोजगार का नुकसान हुआ है। असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों को हुई भारी परेशानियां हुई जिससे अर्थव्यवस्था में विमुद्रीकरण राह में गहरे घाव के निशान छोड़ दिए हैं।
बता दें कि 1 जनवरी 2017 तक की त्रैमासिक रिपोर्ट रोजगार के परिदृश्य की है जो एक सरकारी सर्वे है। यह रिपोर्ट चयनित क्षेत्रों में गैर-कृषि रोजगार में बदलाव के लिए प्रदान की जाती है।
सर्वे में सभी 507,445 यूनिट्स को शामिल किया गया था जिसमें अक्टूबर से दिसंबर तक की तिमाही में 10610 आम नमूना (Common sample) यूनिट्स शामिल थीं। तिमाही के दौरान आठ प्रमुख क्षेत्र गहन श्रमिक (Labour Intensive), गैर कृषि क्षेत्र, व्यापार, परिवहन, आवास और रेस्तरां, आईटी/बीपीओ, शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में 110000 कर्मचारी जोड़े गए लेकिन उससे पिछले पिछले तीन महीनों (जुलाई-सितंबर 2016) की तुलना में 1,52,000 अस्थायी कर्मचारियों को प्रशिक्षित किया गया था जैसे कि नया क्यूईएस (quantitative economic solutions) में दिखाया गया है। यह रिपोर्ट अमेरिका द्वारा जारी किए गए गैर फार्म पेरोल डेटा के समतुल्य है जो दुनियाभर में एक महत्वपूर्ण डेटा सेंटर के तौर पर देखा जाता है।
सरकार ने बड़े स्तर पर श्रम बाजार में आर्थिक समाधान, उच्च गुणवत्ता योग्य आंकड़े पैदा करने, नीतियों को प्रभावी तरीके से लागू करने, रोजसगार के संबंध में स्थिति का आंकलन और श्रम कल्याण के लिए नई क्यूईएस (quantitative economic solutions) सीरीज आयोजित करने का निर्णय लिया है। आठ प्रमुख क्षेत्रों में बड़े नमूने को कवर करने के साथ वर्तमान में क्यूईएस (quantitative economic solutions) की चौथी सीरीज चल रही है। चयनित आठ क्षेत्र विनिर्माण-निर्माण, व्यापार, परिवहन, शिक्षा, स्वास्थ्य, आवास और रेस्तरां और सूचना एवं प्रौद्योगिकी (आईटी)/बिजनेस प्रोसेस आउटसोर्सिंग (बीपीओ) हैं।
इस अवधि में अंशकालिक श्रमिकों (46,000) की संख्या भी 46,000 तक घट गई।