रिहाई मंच ने पटना में राजनीतिक और सामाजिक संगठनों की बैठक पर माओवाद के नाम पर पुलिस छापे को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा विरोधियों की आवाज दबाने की कोशिश बताया है। मंच ने कहा है कि ये छापेमारी साबित करती है कि नीतीश कुमार की सरकार भी मोदी की तरह अपने विरोधियों को निशाना बनाने के लिए पुलिस फोर्स का राजनीतिक इस्तेमाल कर रही है।
रिहाई मंच प्रवक्ता शाहनवाज आलम ने कहा कि पटना के यूथ हॉस्टल परिसर में आयोजित इस बैठक में रिहाई मंच के महासचिव राजीव यादव समेत पूरे बिहार और झारखंड से दर्जनों संगठनों के प्रतिनिधि शामिल थे। न्याय मंच के संयोजक रिंकू यादव के बुलावे पर आयोजित इस बैठक में सहारनपुर में दलितों पर हमले समेत पूरे देश में गौगुंडों द्वारा मुसलमानों पर जारी हमले और बिहार में व्याप्त भ्रष्टाचार के मुद्दे पर आंदोलन की रूपरेखा बनाई जा रही थी।
शाहनवाज आलम ने कहा कि यह महज इत्तेफाक नहीं है कि सहारनपुर दलित हिंसा के खिलाफ आंदोलन करने वालों पर योगी सरकार नक्सली बताकर मुकदमें लाद रही है तो वहीं नीतीश कुमार की पुलिस भी दलितों और अल्पसंख्यकों का सवाल उठाने वालो पर माओवादी होने का आरोप लगाकर छापे मार रही है। उन्होंने कहा कि जन आंदोलनों को कुचलने की रणनीति बिल्कुल एक जैसी होना बताता है कि हिंदुत्व और कथित सामाजिक न्यायवादी सरकारों में दमन की रणनीति पर आमसहमति है।