सैफ आलम सिद्दीकी
इन दिनों रात होते ही सब के जुबान पर बस एक ही नाम आ रहा है और वो है चोटी कटवा जी हाँ इसका आतंक इतना फैला हुवा है कि रातभर लोग चैन की नींद नही सो रहे हैं ज़रा सी आहट पर टार्च की रौशनी घर आँगन छत चारों ओर एकाएक दौड़ पड़ती है जब तक पूरा विश्वास नही हो जाता कि चोटी कटवा नही कोई चिड़िया कौआ या बिल्ली थी तब तक टार्च की रौशनी घूमती रहती है और लोग खुसफुसाते रहते हैं पर ये जानना ज़रूर है कि वो अनजानी भयावह बला है क्या और ये कहाँ से आया कैसे आया और इसके शिकार कैसे लोग हो रहे हैं यदि आप के मन में ऐसे प्रश्न उत्पन्न नही होते तो यकीन मनाये आप भी उस काल्पनिक कीड़ा से डरे हुए हैं या अंधविश्वासी व्यक्ति हैं और पर विश्वास कर बैठे हैं जिस के बारे में ये कहा जा रहा है कि वो एक प्रकार का कीड़ा है जो महिलाओं और युवतियों के बाल काट देता है तथा उन्हें बेहोश भी कर देता है या जान से मार देता है जब भी ऐसी बात सामने आती है तो होश्यार होग पिछली अफवाहों के बारे में चर्चा कर के अपनो को होश्यार करते हैं कि अफवाहों से दुर रहे और पूरा ध्यान अपने सही काम में लगाये 2001 की घटना आप भी ज़रूर याद होगी
चोटी कटवा भी मुँह नोचवा की तरह कोई मन गढ़त कहानी है जिस के बारे में बताया जाता था की उसकी आँखें लाल दिखती है उसके तरफ़ देखने पर आँखों की रौशनी चली जाती है और उसके पैर में ऐसे स्प्रिंग वाले जूते हैं जिस कि सहायता से वो जम्प लगा कर कई माला ऊपर पहुँच जाता है और छत पर सोये लोगों को अपना शिकार बनाता है और ये अफवाहें सिर्फ़ बिहार और उत्तर प्रदेश में ही नही बल्कि दिल्ली तक पहुँच गई पर दिल्ली में लोग मुँह नोचवा को इज्जत नही देते इसी लिए बेचारे को अपना नया नाम मंकी मैंन रखना पड़ा ताकि इस बड़े शहर के लोगों में अपना खौफ का शाशन चला सके हुवा भी वहीँ क्योंकि मीडिया भी इस अफवाह को फैलाने से अछूती नही थी हर सुबह अखबार में मंकी मैंन की नई फ़ोटो आने लगी विश्वास करना भी ज़रूरी था क्योंकि ये मीडिया वाले रोज मंकी मैंन के शिकार हुए लोगों को ढूँढ़ कर उनके घर से लिइव प्रोग्राम दिखाते थे किसी बच्चे के हाथ या पैर में भी खरोच आ जाती तो माँ बाप के डर से बोल देते मंकी मैन ने हमला किया था यही कारण था की जितने लोगों पर मंकी मैन ने हमला किया था सब ने उसकी शक्ल अलग अलग बताई किसी ने आँखें बहुत डरावनी बताई तो किसी ने हाथ कई लोगों ने रोबोट की तरह बताया तो कईयों ने चाइनीज आदमी की तरह और ये ऐसी अफवाह थी जिस से चोर उचक्के फायदा उठाने लगे अचानक हल्ला होता की मंकी मैन आ गया डर के मारे लोग दुकानें बंद किए बिना भाग जाते फ़िर घंटों बाद हिम्मत कर के आते तो दुकानों से काफी कूछ गायब हुई होती ऐसा एकात बार होने के बाद सबसे पहले बनियों को पता चला की कोई मंकी मैंन नही है और ये महज़ अफवाह है बाद में पुलिस स्पेशल टीम गठिथ हुई और जहाँ से कॉल आती छान करना शुरू कर दिए सबसे पहले किसने शोर मचाई थी वैसे लोगों को टाँगने लगे फ़िर दो चार दिन में ही मंकी मैन हमेशा के लिए गायब हो गया l
अब बात करते हैं छोटी कटवा की ये अफवाह राजिस्थान से उत्पन्न हुई और दिल्ली होते हुए फ़िर बिहार आ पहुँची है और व्हट्सप्प और फ़ेसबुक पर पिढित महिलाओं और युवतियों की फ़ोटो खूब शेयर की जाने लगी जिसे देख कर मन में कई प्रकार के प्रश्न उत्पन्न हो रहे हैं जैसे की मान भी ले की ये कोई भयावह कीड़ा है तो इसके शिकार महिलायें और युवतिया ही क्यों है जबकि पुरुषों के सर में भी बाल होता है इसके शिकार सिर्फ़ देहात के लोग ही क्यों हैं इसके शिकार गरीब परिवार ही क्यों हैं क्योंकि इस तबके में बेरोजगार लोग अधिक होते हैं और अंधविश्वासी भी जो अफवाहों को फैलाने में बढ़ चढ़ के भाग लेते है शहर के लोगों के पास न ही इतना समय होता है कि अफवाहों के पीछे समय व्यर्थ करे और न ही घर के आगे खाली ज़मीन होती है कि चौपाल या अड्डा बना सके और मोहल्ले भर की ख़बर को फेट सके कहते हैं न कि गँगा बहती है तो लोग हाथ धो लेते हैं इन अफवाहों में भी वो महिलाएँ या युवतियों सबसे पहले शिकार हो सकती हैं जो पारिवारिक तनाव में जी रही हों या वैसी महिलायें भी हो सकती हैं जो पहले से ही मानसिक रोगी हो l पुलिस प्रशासन को फ़िर से एक टीम गठित करने की आवश्यकता है ताकि जहाँ भी इस तरह की घटनायें हो रही हैं अच्छे से छानबीन करे ताकि अगर इसके पीछे किसी तरह का गिरोह भी काम कर रहा हो तो ये भी साफ़ हो जाये क्योंकि ये कोई बीमारी होती तो एक गाँव में एक या दो लोग पिडित नही होते बल्कि अधिकाँश महिलाएँ शिकार होती L
पहले की अपेक्षा अब शिक्षा का स्तर भले ही बढ़ गया है पर अंधविश्वास के स्तर में कोई कमी नही हुई है तभी तो समय समय पर लोग अफवाहों के शिकार आसानी से हो जाते हैं जो लोग मंकी जैसे अफवाह के बाद भी सतर्क न हो सके जाहिर है वैसे अंधविश्वासी लोग चोटी कटवा से खुद भी डरेंगे और दूसरों को भी डरायेँगे l