दानिश रेयाज़, मुंबई
यह बहुत पुरानी बात नहीं अभी कुछ वर्ष ही बीते हैं जब मैं ने मुस्लिम बहुसंख्यक इलाके मुम्ब्रा में रहते हुये महाराष्ट्रा राज्य टेलीफोन निगम (ऍम टी एन एल) के कनेक्शन के लिये अप्लिकेशन दिया था तो मुझे आठ महीने बाद कनेक्शन मिला था मैं ने इसका कारण जानना चाहा तो कहा गया कि “आप जहाँ रहते हैं उस इलाक़े में इसलिये सुविधाएं नहीं दी जाती कियुंकि यह मुस्लिम बहुसंखयक इलाका है”. कई वर्षों तक सुविधाजनक सर्विस लिये बेगैर जब इस महीने के आरम्भ में मैं ने ऍम टी एन एल की सेवा स्थगित करवा दी तो कोई यह पूछने तक नहीं आया कि आखिर कारण किया है. जब कि लिखित रूप से मैं ने कई बार कम्प्लेन भी किया है. यह मामला महत्वपूर्ण इसलिये हो जाता है कियुंकी टेलीफ़ोन निगम नये गराहकों को आकर्षित करने और अपने ग्राहकों को बनाये रखने के लिये करोड़ों का विज्ञापन देती है.
इस संदॅभ में जब आप डायमंड कंपनी की कहानी जीशान अली खान के हवाले से सुनेंगे तो आप को हैरत नहीं होगी. मुस्लिम समुदाय खास कर नोजवानों में अब यह आम धारणा बनती जा रही है कि सरकारी नौकरियों के साथ अब प्राइवेट जाब्स में भी पक्षपात हो रहा है अतः मुस्लिम नौजवान अपनी दाल रोटी का कोई और व्यवस्था करें. इवेंट्स मैनेजमेंट कंपनी इक्ज्हिकान के डायेरेक्टर क़ासम सय्यद कहते हैं “यह कोई पहली बार ऐसा नहीं हुआ है जब किसी मुस्लिम बच्चे को नौकरी देने से रोक दिया गया हो. हाँ, यह हो सकता है कि मीडिया में पहली बार इस प्रकार की घटना रिपोर्ट हुई हो.” वह कहते हैं “मेरी कंपनी में 80 प्रतिशत काम करने वाले मुसलमान नहीं हैं ना ही हम इस प्रकार के मानसिक रोगियों को पसंद करते हैं”. कासम सय्यद यह कहना नहीं भूलते कि “अगर इस प्रकार की मानसिकता दिलों में घर करेगी तो देश का विकास प्रभावित होगा.”
यह एक हक़ीक़त है कि इस समय महारष्ट्र में मुसलमानों के बीच Unemployment की संख्या अधिक है महाराष्ट्र सरकार की ओर से गठित महमूदर्रह्मान रिपोर्ट भी इस बात की साकक्षी रही है कि मुस्लिम नौजवानों को महाराष्ट्र के जेलों में जितनी जगह दी गई है उतनी जगह उन्हें नौकरियों में नहीं दी गई है. रिपोर्ट के अनुसार मामूली जुर्म में भी जिसे थाने में भी सुलझाया जा सकता था लोगों को जेल भेज दिया गया है. ऐसी मानसिकता में अगर किसी को घर देने से मना किया गया हो या किसी को नौकरी पर रखने से ही रोक दिया गया हो तो कोई अचम्भे की बात नहीं है.
हालाँकि इस घटना पर मुस्लिम समुदाय के तमाम ही संगठनों ने घोर विरोध करते हुये इसकी निंदा तो की है लेकिन किसी के पास इस बात का कोई उत्तर नहीं है कि इस प्रकार की मानसिकता पर कैसे रोक लगाई जाये.
यह विडंबना ही है कि मुंबई के भिंडी बाज़ार के पास ही रहने वाला उस्मान सय्यद (बदला हुआ नाम) ऐरोनोटीकल इंजिनीअरिंग करने के बाद नौकरी के लिये आफिसों के चक्कर लगा रहा है उसने कई कंपनियों में अपना रिज्यूम भी भेजा है लेकिन कहीं से भी कोई जवाब नहीं आया है. इसके बाद जब उसने कुछ लोगों के ज़रिये पैरवी लगाने की कोशिश की है तो यह कहते हुए लोगों ने पैरवी से मना कर दिया है कि “तुम मुस्लिम हो हम तुम्हारी पैरवी नहीं कर सकते”. उस्मान सय्यद ने इंट्रेंन्शिप भी कर रखा है लेकिन उसका मुस्लिम नाम अब उसे उडान भरने में रोकावट डाल रहा है.
डायनामिक कंसल्टेंसी के मालिक अतहर इम्तियाज़ कहते हैं “ इस समय मुस्लिम नौजवानों को आर्थिक रूप से परेशान करने की कोशिश की जारही है एक ओर अगर उसे देश के अंदर काम कर के पैसा कमाने नहीं दिया जा रहा है तो दूसरी ओर उसे विदेश जा कर नौकरी करने से भी रोका जा रहा है. भारत सरकार ने विदेश जाकर काम करने के संदर्भ में जो क़ानून लाया है उसकी वजह से विदेश जाने वालों को भी कठिनाइयाँ हो रही है”. अतहर कहते है सब से पहले तो TCS के माध्यम से लोगों को परेशान किया गया और अब नई नई फीस लेकर गरीबों को लुटा जा रहा है.
कंपनी सिक्रेटरी की तय्यारी कर रही हिना फिदौस कलाल कहती हैं “जिस किसी ने भी ये हरकत की है और टैलेंट के बजाय धर्म को आधार बनाया है तो उसने बहुत ही शर्मनाक हरकत की है. कंपनियों को चाहिये कि वह अच्छे और टैलेंटेड लोगों को रखे ना कि धर्म को पैमाना बनाये”. हिना के अनुसार “यही वजह है कि हमारा देश आज भी underdeveloped देश कहलाता है जबकि होना यह चाहिये कि यह प्रगतिशील देश से बढ़ कर आधुनिक की कटेगरी में शुमार किया जाने लगे इसकी कल्पना की जानी चाहिये.” वह कहती है “क्या लोगों को ऐसा सोचते हुये शर्म नहीं आती?”
लेकिन डायमंड कंपनी और इस प्रकार की मानसिकता रखने वाली कंपनियों के लिये जीशान के दो दोस्त मुकुंद मणि पांडे और ओमकार बनसोडे के फैसले ने मुंह पर ज़न्नाटेदार तमाचा लगाया है जब इन दोनों ने उस कंपनी में काम करने से ही मना कर दिया है.
स्टार ट्रेडिंग के मालिक जावेद शेख कहते हैं “मैं जिस कंपनी का डीलर हूँ उसने केवल मुस्लिम इलाकों में करोड़ों का बिज़नेस किया है जबकि कंपनी ने मुझे भी बड़ा सम्मान दिया है अगर व्यापारिओं में भी भेद भाव की मानसिकता आजाये तो फ़िर कोई भी सही तरीक़े से बिज़नेस नहीं कर सकेगा”.
जावेद कहते हैं “ यह दुनिया आपसी सौहार्द के साथ ही खुबसूरत बन सकती है अगर लोग हर हर क़दम पर पक्षपात करेंगे तो कोई भी कामयाब नहीं हो पाएगा.”
सही बात यह है कि यह घटना पक्षपात से ज़ियाद मोदिवाद का प्रचारक है. नरेंद्र मोदी की सरकार ने साल भर के अंदर कोई उपलब्धि तो नहीं की है लेकिन उसने आपसी सौहार्द को ख़त्म करने के तमाम काम किये हैं. इस समय जबकि जनता साल भर का हिसाब मांग रही है तो उसे उन मुद्दों में उलझाया जा रहा है जिसे जनता ने बहुत पहले ही नकार दिया था. विडंबना यह है कि एक ओर मोदी सरकार “सब का साथ सब का विकास” की बात करती है तो दूसरी ओर वह उन लोगों को खुली छूट देती है जो सब का सत्यानास करना चाहते हैं.