By Maeeshat News
सरकार द्वारा दशकों से चली आ रही अवैध पशु कत्लखानों पर रोक लगाए जाने के बाद यह विवाद इतना बढ़ा कि ‘बडे’ के मीट से तैयार होते बहुचर्चित टुंडा कबाब की दुकान पर फिलहाल ताला लग गया।
इतना ही नहीं उत्तर प्रदेश में योगी सरकार के सत्ता में आने के साथ एक बार फिर मीट के व्यापार को लेकर विवाद खड़ा हो गया।
राज्य सरकार द्वारा बूचड़खानों पर कार्रवाई को लेकर उठे हंगामे के बीच मीट विक्रेता बीते शनिवार से बेमियादी हड़ताल पर थे। उनका आरोप था कि इस कार्रवाई की आड़ में उन्हें भी परेशान किया जा रहा है जिनके पास वैध लाइसेंस हैं। इस हड़ताल से न सिर्फ हजारों करोड़ रु के इस कारोबार पर बुरा असर पड़ रहा था बल्कि लाखों लोगों की रोजी-रोटी पर भी संकट खड़ा हो गया।
ये ही नहीं अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के छात्रों ने वाइस चांसलर तक को पत्र लिख डाला। जिसमे छात्रों का आरोप है कि उन्हें जबरन शाकाहारी बनाया जा रहा है और हर वक्त डाइनिंग हॉल में दाल और सब्ज़ी परोसी जा रही है।
एएमयू छात्र संघ अध्यक्ष फेजुल हसन ने मीडिया सूत्रों को बताया कि पिछले पांच-छह दिनों से छात्रों को गोश्त नहीं मिल रहा है। ऐसे में वाइस चांसलर को एक पत्र लिखा गया है, जिसमें मांग की गई है कि लाइसेंसी मीट फैक्ट्रियों से सभी हॉलों में गोश्त का इंतेजाम किया जाए। उन्होंने कहा कि इसके अलावा हमारे पास कोई ऑप्शन नहीं है क्योंकि चिकन और मटन के रेट काफी बढ़ गए हैं।
मौजूदा विवाद की शुरुआत तब हुई जबकि योगी सरकार ने सत्ता संभालते ही, बिना लाइसेंस चलने वाले बूचड़ खानों की धरपकड़ करनी शुरू कर दी।
पांच दिन से हड़ताल पर बैठे मीट कारोबारियों ने काम पर लौटने का ऐलान किया है। गुरुवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यानाथ से मुलाकात के बाद इसकी घोषणा की गई। अवैध बूचड़खानों के खिलाफ सख्ती के बाद उत्तर प्रदेश में मीट कारोबारी हड़ताल पर चले गए थे। मुख्यमंत्री से मुलाकात के बाद मीट कारोबारियों के प्रतिनिधि सिराजुद्दीन कुरैशी ने कहा, ‘मैं सभी से काम पर लौटने की अपील करता हूं। लाइसेंस लेकर काम शुरू करें। सरकार इसमें मदद करेगी।’