जम्मू कश्मीर: भारत प्रशासित कश्मीर में बीते कई घंटों से हलचल बहुत ज़्यादा बढ़ गई है।
सरकार की ओर से घाटी में मौजूद तमाम पर्यटकों और अमरनाथ यात्रा कर रहे तीर्थ यात्रियों को कश्मीर छोड़ने की सूचना जारी की गई।
जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री और पीडीपी नेता महबूबा मुफ़्ती ने शुक्रवार रात अपने निवास स्थान पर एक आपात बैठक बुलाई।
इस बैठक में जम्मू-कश्मीर के अन्य क्षेत्रीय दलों के नेता शामिल हुए। जिसमें नेशनल कॉन्फ्रेंस के फ़ारूक़ अब्दुल्लाह, पीपल्स कॉन्फ्रेंस के सज्जाद लोन और पीपल्स मूवमेंट के शाह फ़ैसल शामिल हैं।
बैठक के बाद महबूबा मुफ़्ती ने बताया कि उन्होंने घाटी के हालात के बारे में चर्चा की है।
महबूबा मुफ़्ती ने प्रेस वार्ता कर बताया, ”कश्मीर में जिस तरह के हालात बना दिए गए हैं उससे यहां रहने वाले लोग जिसमें छात्र भी शामिल हैं सभी डरे हुए हैं, दहशत फैलाई जा रही है जिस तरह का खौफ़ मैं आज देख रही हूं वैसा मैंने पहले कभी नहीं देखा।”
महबूबा मुफ़्ती ने सरकार पर सवाल उठाए कि अगर सरकार यह दावा करती है कि घाटी में हालात बेहतर हुए हैं तो यहां सुरक्षाबलों की संख्या क्यों बढ़ाई जा रही है?
उन्होंने कहा,”इस तरह की अफवाहें हैं कि सरकार आर्टिकल 35 ए और विशेष राज्य के दर्ज़े में बदलाव करने जा रही है। इस्लाम में हाथ जोड़ने की इजाज़त नहीं है, फिर भी मैं प्रधानमंत्री से हाथ जोड़कर अपील करती हूं कि ऐसा ना करें।’
जम्मू कश्मीर के तमाम क्षेत्रीय नेताओं ने जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल सत्यपाल मलिक से भी मुलाक़ात की। उन्होंने राज्यपाल से घाटी में फैली अव्यवस्था और अफ़वाहों को रोकने की अपील की।
शुक्रवार को जम्मू-कश्मीर सरकार की ओर से जारी एक सुरक्षा संबंधी सूचना के साथ हुई।
सरकार ने घाटी में चरमपंथी हमला होने की आशंका जताई और अमरनाथ यात्रियों और पर्यटकों को वापस लौटने की सलाह दी।
सरकार ने यात्रियों और पर्यटकों से अपील की है कि वे अपनी यात्रा की अवधि को छोटा कर जल्दी से जल्दी घाटी छोड़ने की कोशिश करें।
सरकार की ओर से जारी इस सूचना के बाद कई तरह की आशंकाओं का बाज़ार गर्म हो गया।