By Maeeshat News
इस्लाम में फतवा शब्द का एक विशेष महत्त्व है. साधारण व्यक्ति समझते हैं कि फतवा केवल किसी व्यक्ति विशेष की हत्या करने के लिए दिए जाने वाले आदेश को कहते हैं. लेकिन ये सत्य नहीं है. कल से पूरी मीडिया में एक गायिका पर फतवा जारी करने की खबर जोरो से प्रस्तुत की जा रही है जिसमें खबर की विश्वसनीयता पर भी सवाल होने लगे हैं.
इंडियन आइडल जूनियर की फर्स्ट रनर अप रहीं नाहिद आफरीन के खिलाफ भारतीय मीडिया में 46 फतवों की एक खबर फैलाई गई हैं. जिसमे दावा किया गया कि असम सहित देश भर के उलेमाओं ने आफरीन के खिलाफ फतवे दिए हैं. हालांकि ये खबर पूरी तरह से झूठ पर आधारित हैं.
खबर के साथ 46 मुस्लिम उलेमाओं की साइन किया हुआ एक पत्र भी दिखया गया हैं जिसमें असमिया भाषा में जारी किया गया हैं. इस पत्र पर जारी करने वाले उलेमाओं के नाम लिखे हैं. साथ ही 25 मार्च को असम के लंका इलाके में होने वाले नाहिद के शो को ‘शरीयत के खिलाफ’ करार दिया गया हैं.
असम राज्य के जमीयत ए उलमा के सचिव मौलवी फजलूल करीम कासिमी ने इस बारें में कहा कि इस मामले में कोई फतवा जारी नहीं किया गया.
उन्होंने कहा, मीडिया ने इसे गलत तरीके से पेश किया. उन्होंने सवाल उठाया कि क्या कागज के एक टुकड़े पर एक फतवा जारी किया जाता है? मौलवी ने जोर दिया कि समुदाय को आफरीन पर गर्व है.
फतवे में कहा गया है कि कब्रिस्तान और मस्जिद के पास किसी भी तरह के गाने का कार्यक्रम आयोजित करना शरीयत के खिलाफ है.
खबरों के मुताबिक मंगलवार को असम के होजई और नागांव जिलों में नाहिद के खिलाफ पर्चे बांटे गए, जिनमें फतवा और इसे जारी करने वाले मौलानाओं के नाम लिखे थे. फतवे के मुताबिक मुस्लिम लड़की का गाना गाना शरीयत के खिलाफ है. वहीं इस पर नाहिद आफरीन ने कहा है कि ऐसे फतवे से वह डरने वाली नहीं हैं.