भारतीय भौगोलिक सर्वेक्षण (जीएसआई) ने खनिज क्षेत्र में महान योगदान किया है और देश में मौजूद खनिज संपदा की खोज के लिए नियमित प्रयास कर रहा है। यह संगठन आधुनिक तौर-तरीकों का इस्तेमाल करके आधुनिक तरीके से मैपिंग तकनीकों का प्रयोग करके और उपग्रहों के जरिए लिए गए चित्रों की सहायता से अध्ययन करके संसाधनों की खोज कर रहा है। इसी के एक अंग के रूप में संसद की उद्योगों पर स्थायी समिति की सलाह पर व्यापक आधुनिकीकरण कार्यक्रम शुरू किया गया है और विशेषज्ञ समिति द्वारा निर्धारित दिशा-निर्देशों के अनुसार जीएसआई को आधुनिक बनाने के प्रयास चल रहे हैं। इस कार्यक्रम का उद्देश्य अति-आधुनिक टेक्नॉलोजी का प्रयोग करते हुए क्षेत्रीय खनिज खोज करना और प्राकृतिक संसाधनों का अनुमान लगाना है। 12वीं पंचवर्षीय योजना अवधि के दौरान ऐसी टेक्नॉलोजी का समावेश करने की योजना बनाई गई है-
Ø आईसीपी-एमएस, आईसीपी-एईएस जैसे खनिज अन्वेषणों को पूरा करने के विश्व मानकों के अनुरूप रासायनिक प्रयोगशालाओं और उपकरणों को मजबूत बनाना ताकि निश्चित समय तालिका के अंदर खनिजों का पता लगाया जा सके।
Ø मल्टी चैनल गामा-रे स्पेक्ट्रोमीटरी, मल्टी फ्रीक्वेंसी ईएम सिस्टम जैसे भू-भौतिक सर्वेक्षण उपकरणों में वृद्धि और उनका आधुनिकीकरण।
Ø अतिआधुनिक ड्रिलिंग मशीन (रिवर्स सर्कुलेशन, हाइड्रोलिक आदि) की व्यवस्था।
देश में खनिज संसाधनों के अन्वेषण की गुणवत्ता में सुधार के लिए निम्नलिखित उपकरण/उपस्कर खरीदे जा चुके हैं या खरीदे जाने की प्रक्रिया चल रही है-
· विमान के जरिए चुम्बकीय, इलेक्ट्रोमैग्नेटिक और गामा-रे सर्वेक्षण लक्ष्य क्षेत्रों में दुनियाभर में उपयुक्त क्षेत्रों में पहचान करने में उपयोगी सिद्ध हुए है और अन्वेषण में इनका प्रयोग प्रत्यक्ष औजार के रूप में किया जा सकता है। इस प्रकार के सर्वेक्षणों को हेलीबॉर्न मल्टी सेंसर एयरबॉर्न सर्वेक्षण व्यवस्था के जरिए सुदृढ़ बनाया जा सकता है। इनमें मैग्नेटिक, ग्रेवेटी, टाइम डोमेन इलेक्ट्रो मैग्नेटिक (टीडीईएम) और गामा-रे स्पेट्रोमीटरी और हाइपर स्पेट्रोमीटरी सर्वेक्षण शामिल है।
· खनिज अन्वेषण में भू-रासायनिक प्रयोग, परंपरागत तथा उन्नत जिओ- केमिकल तकनीकों का इस्तेमाल, मिट्टी का सर्वेक्षण, स्ट्रीम-सेडीमेंट सर्वेक्षण, वेपर सर्वेक्षण, बैडरॉक सर्वेक्षण धरती के नीचे मौजूद हुए अयस्कों या निकायों की खोज में उपयोगी सिद्ध हुए हैं। अपने जिओ-केमिकल एक्सप्लोरेशन अभियान को सुदृढ़ बनाने के लिए जीएसआई ने नये और आधुनिक यंत्रों से क्षेत्रीय प्रयोगशालाओं को लैस करके उच्चीकृत किया है।
· समय की कसौटी पर खरी उतरी तकनीकों का इस्तेमाल करके धरती में छिपी हुई संपदा की खोज को बहुत प्रभावी अन्वेषण साधन माना जाता रहा है। इसके लिए ग्राउंड जिओ फिजिकल सर्वे को सुदृढ़ बनाया जा रहा है।
· जीएसआई ने मैग्नेटिक टेल्यूरिक (एमटी) यंत्र खरीदे हैं जो भू-भौतिक सर्वेक्षण को सुदृढ़ बनायेंगे। इसके परिणामस्वरूप धरती के आंतरिक भागों के बारे में वैज्ञानिक जानकारी बढ़ेगी जिससे भू-परतों की संरचना के बारे में अधिक सटीक तरीके से अध्ययन किये जायेगे और जिसके परिणामस्वरूप धरती में छिपे हुए अयस्क निकायों/किम्बरलाइट बॉडीज (केसीआर) का पता लगाया जा सकेगा।
· जीएसआई, ईईजेड और टीडब्ल्यू के खनिज संसाधन मूल्यांकन के लिए समुद्र तट से दूर सर्वेक्षण भी करता है। समुद्री सर्वेक्षण प्रक्रिया को मजबूत बनाने के लिए जीएसआई गहरे समुद्र में जा सकने वाला एक अनुसंधान पोत ह्यूंदई हेवी इंडस्ट्रीज, दक्षिण कोरिया से खरीद रहा है। इससे देश के ईईजेड में मौजूद खनिजों/प्राकृतिक संसाधनों के अनुमान में सहायता मिलेगी।
तकनीकी क्षमता बढ़ाने के लिए उठाए गए कदमों का विवरण निम्नलिखित है-
o थीमेटिक जिओलॉजिकल मैपिंग के क्षेत्र में निम्नलिखित टेक्नोलॉजी शामिल की जा रही है। फील्ड लैपटॉप, या टेबल पीसी, मैपिंग जीपीएस यूनिट, जीएसआई पोर्टल, मोबाइल मैपिंग वैन उठाऊ जनरेटर के साथ।
o देशभर में नियमित भू-भौगोलिक मैपिंग पूरा करने के लिए एक इंटीग्रेटेड थीमैटिक मैपिंग (आईटीएम) की कल्पना की गई है जिसके साथ निम्नलिखित यंत्र भी होंगे- ग्राउंड पेनीट्रेशन रडार (जीपीआर), शैलो ड्रिल, डीप ड्रिल, इलेक्टॉन प्रोब माइक्रो एनालाजर आदि।
o जीएसआई की प्रयोगशालाओं में आईसीपीएमएस, एएएस, एक्सआरएफ और डीएमए जैसे अति आधुनिक उपकरण जुटाये गए हैं।
o जिओ फिजिकल मैपिंग के क्षेत्र में जिस टेक्नोलॉजी को शामिल करने का प्रस्ताव है उसमें हाई- प्रेसिशन ग्रेवीमीटर और टोटल फील्ड मैग्नेटोमीटर शामिल हैं।
o हाइपर स्पेक्ट्रल मैपिंग के लिए स्पेसबॉर्न और एयरबॉर्न हाइपेरिऑन डेटा खरीदे जा रहे हैं। इस संदर्भ में ऐसी व्यवस्था की गई है कि इसरो/एनआरएसजी/एनएनएमएस के सहयोग से हाइपर स्पेक्ट्रल डेटा की खरीद जारी रखी जायेगी।
o ड्रिलिंग की गुणवत्ता और धरती के अंदर से प्राप्त सूचना की विश्वसनीयता बढ़ाने के लिए जरूरी है कि नई से नई तकनीकों और उपकरणों का इस्तेमाल किया जाये, जिससे एक ही छेद करके कई तरह की पक्की सूचनाएं प्राप्त की जा सकें। इसके लिए सबसे तेज और कम खर्चीला तरीका है रोटरी एयर ब्लास्ट (आरएबी) जिसे इस्तेमाल किया जायेगा। रिवर्स सर्कुलेशन, हाइड्रोलिक रिग्स आदि अति आधुनिक ड्रिलिंग मशीनें खरीदने की प्रक्रिया चल रही है।