रिहाई मंच ने 13 मई को उत्तर प्रदेश भवन दिल्ली के सामने भीम आर्मी के विरोध प्रदर्शन का समर्थन करते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश में किसी भी कीमत पर दलितों-पिछड़ों और मुसलमानों के खिलाफ हिंसा को बर्दाश्त नही किया जायेगा। मंच ने कहा कि योगी के मुख्यमंत्री बनते ही पूरे सूबे में दलितों-पिछड़ों और मुसलमानों के खिलाफ सरकार के संरक्षण में लगातार हमले हो रहे हैं।
मंच ने इलाहाबाद हाई कोर्ट में सरकार के प्रमुख सचिव राहुल भटनागर के द्वारा दाखिल किये गए शपथ-पत्र में कहा है कि योगी आदित्यनाथ पर 2007 में गोरखपुर में साम्प्रदायिकता फैलाने पर मुक़दमा दर्ज सम्बन्ध में सीबीसीआईडी द्वारा मांगी गयी अनुमति को सरकार ने 3 मई को देने से इनकार कर देने पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा की योगी आदित्यनाथ अपने पद का दुरुपयोग करके बचना चाहते हैं।
रिहाई मंच लखनऊ प्रवक्ता अनिल यादव ने 13 मई को उत्तर प्रदेश भवन दिल्ली के सामने भीम आर्मी के विरोध प्रदर्शन का समर्थन करते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश में किसी भी कीमत पर दलितों-पिछड़ों और मुसलमानों के खिलाफ हिंसा को बर्दाश्त नही किया जायेगा। जिस तरह से पूरे सूबे में सामंती तत्वों का मनोबल बढ़ा है उससे साफ़ हो गया योगी सरकार का उनको समर्थन प्राप्त है. इसी मनोबल पर पूरे प्रदेश में सवर्ण सामन्ती ताकतें दलितों-पिछड़ों और मुसलमानों का उत्पीड़न कर रही है। उन्होंने कहा कि सामाजिक न्याय की लड़ाई अस्मिता और आत्मसम्मान की लड़ाई है इसको हर कीमत पर संविधान के दायरे में रह कर लड़ा जायेगा।
सामाजिक कार्यकर्ता और अधिवक्ता असद हयात ने कहा कि जिस तरह 2007 में गोरखपुर में साम्प्रदायिकता फैलाने पर मुक़दमा दर्ज करने के सन्दर्भ में प्रमुख सचिव राहुल भटनागर ने जबाब दिया है। इससे साबित है कि योगी आदित्यनाथ द्वारा अपने पद का दुरुपयोग किया गया है और उन्ही के इशारे पर यह नामंजूरी की गयी है. क्या इसी तरह कानून का शासन योगी सरकार स्थापित करना चाहती है।
अगर तीन मई को यह नामंजूरी हो गयी थी तो फिर 4 मई को सरकार के वकील ने है हाई कोर्ट को क्यों नही बताई ?
इसपर हाई कोर्ट ने अपनी नाखुशी का इज़हार करते हुए कहा था कि अगर यह बता दिया गया होता तब क्यों हम मुख्य सचिव को तलब करते। योगी आदित्यनाथ की विचारधारा कानून के शासन में नही रही है.अतीत में उनके भाषणों और कार्यकलापों से साफ़ होता है कि उन्होंने अपने राजनीतिक उदेश्य के लिय साम्प्रदायिकता का सहारा लिया है और वे हिंसा करने के लिए भी लोगों को भड़काते रहे हैं और अब सत्ता में आने के बाद सरकारी तंत्र का दुरूपयोग अपने पक्ष में कर रहे हैं।