By अब्दुल रशीद अगवान
दिल्ली ऐसेम्बली इलेक्शन में ओखला सीट से अमानतुल्लाह ख़ान ने १ लाख 4 हज़ार वोट ले कर जीत हासिल की थी और वे यहां के सभी वार्डों में आगे रहे थे। मगर एमसीडी इलेक्शन के नतीजे बता रहे हैं कि सिर्फ 2 साल में ही दिल्ली में ही नहीं ओखला में भी उनकी पार्टी का असर बहुत हद तक कम हुआ है।
एमसीडी में ओखला के पांच वार्डों में ‘आप’ को कुल 35,000 वोट मिले हैं और उसे सिर्फ एक वार्ड में कामयाबी हासिल हुई है। जबकि कांग्रेस और भाजपा ने अपने वोट बैंक को तक़रीबन बनाये रखा है और उसका फायदा भी इन पार्टियों को एमसीडी चुनाव में मिला है। ओखला के पांच वार्डों में से दो पर कांग्रेस ने और दो पर बीजेपी ने जीत हासिल की है।
जिस वार्ड 102 (अबुल फज़्ल एन्कलेव) की एक सीट पर ‘आप’ के अब्दुल वाजिद ख़ान जीते हैं उसमें भी वोटों का 24 उम्मीदवारों में बंटवारे और सिर्फ 44% पोलिंग का फायदा उन्हें मिला है।
ग़ौर करने की बात यह है कि इन दो सालों में ऐसा क्या कुछ हुआ है कि ‘आप’ ने अपनी बढ़त खो दी?
वॉलंटीयर्स ऑफ चेंज ने ओखला एमएलए को उनकी जीत के बाद 20 मुद्दों पर काम करने का मशवरा दिया था। मगर एक-आध को छोड़कर शायद ही किसी पर काम हो सका हो।
ये मुद्दे ऐसे हैं जो जनता के बीच से आये थे। ऐसा मुमकिन है कि उनके सामने कुछ दुश्वारियां रही हों मगर अवाम का तआवुन लेकर बहुत कुछ किया जा सकता है। ऐसा लगता है कि अवाम से कट कर कुछ लोगों के दायरे में सिमट जाने की जो ग़लतियां उनसे पहले के एमएलए करते रहे हैं मौजूदा वक़्त में भी वही ग़लतियां जारी हैं।
आख़िर ज़ाकिर नगर से शोएब दानिश ने जनता से अपने बेहतर राब्ते की वजह से ही दोबारा जीत हासिल की है।
हमारा अमानतुल्लाह ख़ान, उनके जीते हुए काउंसिलर अब्दुल वाजिद ख़ान, ‘आप’ के हारे उम्मीदवारों और पार्टी से जुड़े लोगों को यही मुख़लिसाना मशवरा है कि वे जनता के बीच पहुंचें, उनके मसाइल को सुनें और उन्हें हल करने की कोशिश करें। वरना उनके 70,000 खोये हुए वोटरों में इज़ाफा ही होगा और मायूस जनता के पास फिर एक नया तज़रबा करने के सिवाय कोई और चारा नहीं रहेगा।
(कन्वीनर, वॉलंटीयर्स ऑफ चेंज)