By Staff Reporter, Maeeshat News
किसान का नाम लेते ही जेहन में एक गरीब , बेबस इंसान का चेहरा आता हैं | एक ऐसा इंसान जिस जैसी नेक नियत का इंसान दुनियाँ में दूसरा कोई नहीं | एक ऐसा इंसान जिसकी नेक कमाई में सबका सांझा हैं | जो सबका अन्नदाता हैं पर दुनियाँ मे सबसे दुःखी भी यहीं इंसान हैं।
किसानों की फसल तैयार है लेकिन बाजार में उन फसलों के भाव नहीं मिल रहे हैं। हाल ही में हिमाचल में ऊना जिले के हरोली में किसानों ने आलू के सही दाम नहीं मिलने पर आलू की फसल पर ट्रैक्टर चलाकर अपनी गुस्सा दिखाया था। अब ऐसा ही मध्यप्रदेश में टमाटर के लगातार बढ़ते उत्पादन और रकबे के बावजूद टमाटर पैदा करने वाले किसानों की हालत बिगड़ती जा रही है।
किसानों की हालत ये है कि खेतों में फसल तैयार है, लेकिन फसल के सही दाम नहीं मिल रहे। फसल और सब्जियों के सहीं दाम ना मिलने की वजह से किसान सब्जियों की तुड़ाई नहीं कर रहे हैं। वहीं, बाजार में एक कैरेट टमाटर के दाम 15 से 20 रुपए मिल रहे हैं, जबकि इसके लिए किसानों को 100 से 150 रुपए मजदूरी देनी पड़ रही है।
भले ही सरकारे किसानों के उन्नति के लिए नयी नयी योजनाओं और उचित मूल्य दिलाने का दावा ढोकती है। लेकिन असल में किसानों को कभी सूखे की मार तो कभी मौसम की मार और कभी फसल में रोग से हर वर्ष जूझना पडता है इस बार भी क्षेत्र के आलू, टमाटर किसान फसल की कम पैदावार और मंदी के चलते खून के ऑसू रो रहे है।
यहीं कारण हैं कि देश में खेती करने वालों की संख्या धीरे धीरे कम होती जा रही हैं | 2011 की जनगणना के अनुसार देश में किसानों की संख्या 77 लाख कम हो गई हैं | किसान के लिए अनेक योजनाए आई गई पर किसान के हालातों मे कोई सुधार नहीं , इसी निराशा में किसान आत्महत्याएँ करने को मजबूर हैं |